नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की अध्यक्षता वाली राष्ट्रीय सलाहकार परिषद यानी एनएसी से इस्तीफा देने के बाद सामाजिक कार्यकर्ता अरुणा रॉय ने कहा कि केंद्र सरकार और संसद ने उन आवश्यक मुद्दों को बहुत महत्व नहीं दिया, जिसका सामना राष्ट्र कर रहा है। अरुणा ने यह भी साफ किया कि उनकी नाराजगी प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से नहीं बल्कि व्यवस्था से है, जिसने खाद्य सुरक्षा तथा पेंशन जैसे मुद्दों को बहुत अधिक महत्व नहीं दिया। उन्होंने कहा कि मैं डॉ. मनमोहन सिंह से नाराज नहीं हूं, बल्कि मैं सरकार से नाराज हूं, मैं संसद से नाराज हूं, जो कानून पारित करने में सक्षम नहीं है।
अरुणा ने एक टेलीविजन चैनल से बातचीत में कहा कि मैं उस व्यवस्था से नाराज हूं, जिसका ध्यान कई मामलों पर है, लेकिन देश के लाखों भूखे लोगों पर नहीं है, मैं उस व्यवस्था से नाराज हूं जो पेंशन पर ध्यान नहीं दे रही है। आज चिंता का मुद्दा देश की वह 60 प्रतिशत आबादी नहीं है, जो गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करती है, जबकि उनकी चिंता की जानी चाहिए थी।
अरुणा ने केंद्र सरकार की कार्य-प्रणाली पर असंतोष जताते हुए मंगलवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। सोनिया को लिखे पत्र में उन्होंने कहा था कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि प्रधानमंत्री ने मनरेगा कामगारों को न्यूनतम मजदूरी भुगतान करने की एनएसी की अनुशंसा खारिज कर दी और इसके बजाय मनरेगा कामगारों को न्यूनतम मजदूरी का भुगतान करने के कर्नाटक हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ अपील करने का फैसला किया।