मथुरा। यहां भोर शंखध्वनि और रात मंदिरों में बजते घंटों की गूंज के साथ होती है। दुनिया-देश से हर दिन हजारों श्रद्धालु मथुरा-वृंदावन की पावन रज को छूने आते हैं। इनमें सियासी दिग्गजों से लेकर ऊंचे ओहदेदार तक शामिल हैं। इसके बावजूद कान्हा की ये धरती सरकारी दस्तावेजों में ‘तीर्थस्थल’ का मान पाने को छटपटा रही है।
सारे जहां की मुराद पूरी करने वाली इस धरती की मुराद विधानसभा में मुद्दा उठने के बाद भी पूरी न हो सकी। हरिद्वार उत्तराखंड में शामिल होने के बाद अब यूपी में कोई भी तीर्थस्थल नहीं है। अयोध्या, मथुरा और काशी, ये तीनों न सिर्फ यूपी, बल्कि देश के प्रमुख धार्मिक स्थलों में शुमार हैं। दुनियाभर के करोड़ों लोग इनकी आस्था से सराबोर है। सिर्फ मथुरा में ही हर साल एक करोड़ से अधिक देशी-विदेशी श्रद्धालु आते हैं। करीब डेढ़ दशक पहले हरिद्वार के उत्तराखंड में शामिल होने के बाद से अब तक यूपी में अनेक सरकारें बदलीं, लेकिन किसी ने इन तीनों में से एक को भी सरकारी तौर पर तीर्थस्थल घोषित करने की कोशिश नहीं की।
वर्ष 1995 में गोवर्धन विधानसभा क्षेत्र के तत्कालीन भाजपा विधायक अजय कुमार पोइया ने मथुरा को तीर्थस्थल घोषित करने का मुद्दा विधानसभा में उठाया था। बकौल पोइया, तत्कालीन विस अध्यक्ष ने प्रमुख सचिव को जरूरी कदम उठाने के आदेश भी दिए थे। मामले को ठंडे बस्ते में जाते देख पोइया ने बाद में जम्मू के श्राइन बोर्ड की तर्ज पर यहां भी मंदिरों की देखरेख और यहां के विकास के लिए किसी बोर्ड के गठन के लिए गैर सरकारी अध्यादेश विधानसभा में पेश किया, लेकिन बात आगे नहीं बढ़ सकी। इस बीच वृंदावन को तीर्थस्थल घोषित कराने की कोशिश करीब तीन साल पहले आगरा मंडल के तत्कालीन कमिश्नर सुधीर महादेव बोवड़े ने शुरू की। उन्होंने पर्यटन विभाग से अभिमत मांगा। तत्कालीन कमिश्नर ने जिला प्रशासन और पर्यटन विभाग को पत्र भेजकर यह जानना चाहा कि वृंदावन को तीर्थस्थल घोषित करने के संबंध में इस विभाग की नीति क्या है? जवाब में सहायक पर्यटन अधिकारी डीके शर्मा ने कहा था कि पर्यटन विभाग की नीति के अनुसार किसी भी स्थान को तीर्थस्थल घोषित नहीं किया जाता। यह शासन की मंशा पर निर्भर है। इस पर यह प्रयास भी बेकार चला गया।
रविवार को सहायक पर्यटन अधिकारी ने स्वीकार किया कि हरिद्वार के उत्तराखंड में शामिल होने के बाद अब उत्तर प्रदेश में कोई भी धार्मिक स्थल तीर्थस्थल घोषित नहीं है।
यदि मथुरा को सरकार तीर्थस्थल घोषित कर दे, तो इसके कई फायदे मिलेंगे। मथुरा के विकास के लिए स्पेशल ग्रांट मिलने के साथ पुरातात्विक धरोहरों व इसके आसपास सुंदरीकरण के लिए अतिरिक्त धन भी मिलेगा। पूर्व विधायक पोइया के अनुसार, गोवर्धन के मुड़िया पूनो के साथ मथुरा में लगने वाले सभी मेलों से संबंधित तैयारियों के लिए बजट भी मिलने लगेगा।
मथुरा जनपद में बीयर की 146, देसी शराब की 205, अंग्रेजी शराब की 150 तथा भांग की 59 दुकानें हैं। इनसे आबकारी विभाग को 22 करोड़ रुपये की आय होती है। मथुरा शहर में ही मांस-मछली की सौ से अधिक दुकानें धड़ल्ले से संचालित हैं। तीर्थस्थल घोषित होने पर इन सबकी बिक्री मथुरा जनपद की सीमा में बंद हो जाएगी।