आगरा। राधास्वामी मत के आदि केंद्र स्वामी बाग में शुक्रवार को आस्था, विश्वास और सेवा का भाव देखते ही बनता था। पंचम गुरु बाबूजी महाराज की कोठी से गुरु वचन मंद-मंद सुरों में निकल रहे थे। जो हर सत्संगी के दिलों की गहराइयों तक पहुंच रहे थे।
हर जगह ‘राधास्वामी’ शब्द गुंजायमान था। मौका था, चौथी गुरु बुआजी महाराज के निज धाम सिधारने के तीन दिवसीय शताब्दी समारोह का। स्वामी बाग परिसर में आस्था के कई केंद्र हैं। इनमें प्रमुख राधास्वामी मत के संस्थापक स्वामीजी महाराज की पावन समाध पर भव्य स्मारक निर्माणाधीन हैं। आस्था के सभी केंद्र फूलों से सजे हुए थे। यहां पहुंचने के बाद एक असीम शांति का अहसास हो रहा था। इन सभी स्थलों पर मत्था टेकने वालों की लंबी कतार लगी रही। बाबूजी महाराज की कोठी पर सत्संग1शताब्दी समारोह का प्रमुख सत्संग बाबूजी महाराज की कोठी पर हुआ। जिसके आगे बने पंडाल में हजारों सत्संगी मौजूद थे। यहां पाठियों ने गुरु महाराज की पोथी से वचन सुनाये। कहा गया जहां तक बन सके किसी की बुराई करने और सुनने से बचना चाहिए। अधिक से अधिक करुणा और क्षमा भाव रखें। मन में शांति रहेगी तो हर प्रकार के झगड़ों से बचा जा सकेगा। बखेड़े करने की आदत छोड़नी चाहिए। निंदा से बचने का प्रयास करना चाहिए। हमेशा सबके गुण देखें, अवगुण नहीं। व्हील चेयर पर थी संत दासी हैदराबाद से आईं संत दासी को उनकी भतीजी पिंकी लेकर चल रही थीं। उन्होंने बताया कि वे स्वामी बाग में पांचवी बार आयी हैं। आल्हादित हैं बुआजी के परिजन जिन बुआजी महाराज का शताब्दी समारोह मनाया जा रहा है, उनके परिजन यहां आकर गौरव की अनुभूति कर रहे हैं। डॉ. आमोद कुमार पांडे बुआजी महाराज की छोटी पुत्री जिजिया (प्रेम दुलारी पांडे) के पौत्र हैं। उन्होंने कहा कि हम जब भी ध्यान लगाते हैं, जिस भी भंडारे में जाते हैं, संत सद्गुरु के प्रकट होने की प्रार्थना करते हैं। बुआजी महाराज के अन्य परिजनों में किरन पांडे, रीना पांडे, अभिनव, आकाश आदि भी मौजूद रहे।