नई दिल्ली।। पोंजी स्कीम के जरिए आम निवेशकों के साथ करोड़ों की धोखाधड़ी को लेकर मचे हो-हल्ले के बीच फाइनैंस मिनिस्टर पी चिदंबरम ने बुधवार को कहा कि रेग्युलेशन में कुछ कमियां हैं। चिदंबरम ने इन कमियों को दूर करने की जरूरत बताई। उन्होंने कहा कि पूरे फाइनैंशल सेक्टर के लिए एक नया लॉ बनाने की भी कोशिश हो रही है।
फाइनैंस मिनिस्टर ने कहा, ‘मौजूदा सिस्टम में कई क्षेत्र ऐसे छूट गए हैं, जहां कोई भी रेग्युलेटर्स प्रभारी नहीं है। हाल ही में कई पोंजी स्कीम हमारे सामने आईं, ये योजनाएं बड़ी चालाकी से रेग्युलेटरी एजेंसियों के दायरे से बाहर रखकर तैयार की गई थीं।’ चिदंबरम बुधवार को नई दिल्ली में इंडियन फाइनैंशल कोड (आईएफसी) पर आयोजित सेमिनार में बोल रहे थे। संहिता को फाइनैंशल सेक्टर लेजिस्लेटिव रिफॉर्म्स कमिशन (एफएसएलआरसी) ने तैयार किया है, ताकि इस क्षेत्र से जुड़े कानून और नियमों को समय के अनुरूप बनाया जा सके।
उन्होंने कहा कि फाइनैंशल सेक्टर में एक साथ कई रेग्युलेटर होने और उनकी भूमिका स्पष्ट नहीं होने से कुछ चीजें छूट जाती हैं। कई बार रेग्युलेटरी ओवरलैप की वजह से एक-दूसरे के टकराव सामने आते हैं। इससे मौजूदा डायनामिक, कॉम्प्लेक्स और इंटरकनेक्टेड फाइनैंशल वर्ल्ड में उभरने वाले अहम मुद्दों से निपटने में कई बार समस्या खड़ी हो जाती है।
एफएसएलआरसी की तरफ से आईएफसी को लागू करने के सवाल पर मिनिस्टर ने कहा, ‘मुझे नहीं मालूम एक बार संसद में जाने के बाद यह कानून इसी स्वरूप में रहेगा या नहीं। हालांकि, यह भारतीय फाइनैंशल सेक्टर रिफॉर्म्स के लिए बहुत बड़ा माइलस्टोन होगा।’ पिछले दिनों पश्चिम बंगाल में चिट-फंड कंपनी शारदा घोटाले में आम लोगों के हजारों करोड़ रुपए डूब गए। इससे पोंजी स्कीमों पर सख्ती को लेकर सख्त रेग्युलेटरी मैकेनिजम की जरूरत बढ़ गई है। चिदंबरम ने कहा कि एफएसएलआरसी के सुझावों को लागू करने के लिए सभी स्टेकहोल्डर्स से पॉजिटिव इनपुट्स की जरूरत होगी।
चिदंबरम ने कहा, ‘भारत में कानून पास करना आसान नहीं है। गठबंधन की राजनीति की वजह से यह और मुश्किल हो गया है। इसके बावजूद हम इसे आसानी से नहीं छोड़ सकते हैं। हम भारत में फाइनैंशल रेग्युलेटरी सिस्टम को सही करने के लिए लोगों के प्रति जिम्मेदार हैं। हमें ऐसा सिस्टम बनाना होगा, जो अगले 50 या उससे अधिक सालों तक प्रभावी हो।’