इलाहाबाद। जैन धर्म के 24वें र्तीथकर स्वामी महावीर का कैवल्य ज्ञान कल्यानक महोत्सव सोमवार को श्रद्धा से मनाया गया। जैन धर्मावलंबियों ने स्वामी महावीर प्रतिमा का विधि-विधान से पूजन कर परिवार एवं जगत कल्याण की कामना की। जीरो रोड स्थित जैन मंदिर में सुबह से ही पूजन-अर्चन के लिए श्रद्धालुओं के पहुंचने का सिलसिला आरम्भ हो गया था। श्रीदिगंबर जैन पंचायती सभा की ओर से आचार्य श्रीपंचकल्यानक सागर एवं मुनि आर्जव सागर जी के सानिध्य में भक्तों ने भगवान महावीर स्वामी की स्तुति और पूजन किया।
सुनील जैन के निर्देशन में भक्ति संगीत पर भगवान का अभिषेक एवं पूजन-अर्चन कर आरती उतारी गई। इस मौके पर जैन मुनि पंचकल्यानक ने उपदेश देते हुए कहा कि वाणी में एक ऐसी शक्ति है जो मित्र भी बना सकती है और पल भर में शत्रु भी खड़ा कर देती है। वाणी एक ऐसी जादूगर है जो विष को अमृत बनाकर जीवन में प्रेम का रस घोल देती है और अमृत को विष बनाकर जीवन का सत्यानाश कर देती है। वाणी एक तीखा विष है जिसे कानों द्वारा पिया जाता है इसे पीने के उपरांत व्यक्ति कई जन्मों तक दुश्मनी की खुमारी को उतारता है। कहा कि जिह्वा की करतूत बड़ी निराली है जो कुछ भी कह जाती है और फल शरीर को भुगतना पड़ता है। उन्होंने कहा कि महावीर स्वामी का कहना है कि जीवन का उत्थान चाहते हो तो प्रिय वचन बोलो। उन्होंने अपने साधकों से यहां तक कह दिया कि सत्य कहो, लेकिन प्रिय कहो, किंतु अप्रिय सत्य कभी मत कहो। यदि तुम्हारे एक शब्द से किसी को कष्ट पहुंचता है तो तुम अपनी सब भलाई नष्ट समझो।