रजनीश सिंह
रजनीश सिंह
नई दिल्ली, 29 जनवरी (आईएएनएस)। आतंकवादियों ने बिहार के गांधी मैदान, चेन्नई में एक्सप्रेस ट्रेन, उत्तराखंड में एक कॉलेज के बाहर और कर्नाटक में एक रेस्तरां के पास किए गए विस्फोटों में एक ही तरीके के विस्फोटकों का इस्तेमाल किया था। राष्ट्रीय जांच एजेंसी के एक सूत्र के हवाले से यह जानकारी मिली है।
बेंगलुरू चर्चगेट धमाके के मुख्य आरोपी आलम जेब अफरीदी उर्फ जावेद रफीक की गिरफ्तारी के बाद यह खुलासा हुआ है। उसने बताया कि सभी धमाकों में अमोनियम नाइट्रेड, सल्फर और पोटेशियम क्लोराइट के मिश्रण से विस्फोटक का निर्माण किया गया था। इस मिश्रण को लोहे की पाइपों में भर कर विस्फोटक बनाया गया था। एनआईए के एक अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर आईएएनएस को यह जानकारी दी।
अधिकारी ने बताया कि क्या चारों धमाकों में एक ही संगठन का हाथ है, इस बारे में जांच चल रही है। रफीक ने बताया कि उसे रेस्तरां के अंदर बम लगाने का निर्देश मिला था, लेकिन वहां कर्मचारियों की मौजूदगी से डरकर उसने रेस्तरां के बाहर बम लगा दिया था। यह घटना बेगलुरू के चर्चगेट में 28 दिसंबर 2014 को हुई थी, जिसमें एक महिला की मौत हो गई और कई घायल हो गए थे।
रफीक सिमी का कार्यकर्ता है और शीर्ष नेताओं का काफी करीबी है। वह केरल में एक आतंकवादी कैम्प आयोजित करने के सिलसिले में फरार था। उस पर वहां 3 लाख रुपये का इनाम घोषित किया गया था। अहमदाबाद का रहने वाला 30 वर्षीय रफीक अब एनआईए की हिरासत में है।
एनआईए अधिकारियों का दावा है कि रफीक उस दिन बेंगलुरू के चर्चगेट के रेस्तरां में इजरायल से आए प्रतिनिधिमंडल को निशाना बनाने की फिराक में था। इसके अलावा रफीक पर तेलंगाना के एटीएस हवलदार पर चाकू मारने का भी शक है। उस पर अहमदाबाद में 2008 में किए गए बम धमाके में भी शामिल होने की जांच चल रही है।
एनआईए के अधिकारी ने इस बारे में कुछ नहीं बताया कि रफीक ने यह सब अकेले किया या वह किसी बड़े संगठन का हिस्सा है। शुरुआती जांच में उसने बताया कि उसके आकाओं ने उसे बम बनाने का प्रशिक्षण दिया था। और उसके सामान की खरीदारी उसने खुद स्थानीय स्तर पर की थी।