बेंगलुरु, 17 जनवरी (आईएएनएस)। भारत ने स्वदेशी सामानों की मदद से सुपर कपैसिटर का विकास किया है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि ये सुपर कपैसिटर रक्षा और अंतरिक्ष क्षेत्र के रणनीतिक उपयोग में ऊर्जा संबंधी कमियों को दूर करने के लिए विदेशी निर्भरता को कम करने में मददगार होंगे।
बेंगलुरु, 17 जनवरी (आईएएनएस)। भारत ने स्वदेशी सामानों की मदद से सुपर कपैसिटर का विकास किया है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि ये सुपर कपैसिटर रक्षा और अंतरिक्ष क्षेत्र के रणनीतिक उपयोग में ऊर्जा संबंधी कमियों को दूर करने के लिए विदेशी निर्भरता को कम करने में मददगार होंगे।
सेंटर फार मैटिरियल्स फार इलेक्ट्रानिक टेक्नोलॉजी (सी-एमईटी) के निदेशक अरुण सचदेवा ने आईएएनएस से कहा, “हमने रक्षा और अंतरिक्ष उपकरणों में विशिष्ट प्रयोग के लिए विभिन्न वोल्टेज के सुपर कपैसिटर बनाए हैं। यह सामान्य कपैसिटर के मुकाबले अधिक ऊर्जा संचित करते हैं और बैट्री की तुलना में अधिक तेजी से डिस्चार्ज होते हैं।”
सरकारी इलेक्ट्रानिक्स एवं संचार प्रौद्योगिकी विभाग के तहत आने वाले सी-एमईटी ने केरल के त्रिशूर प्रयोगशाला में एक पायलट प्रोजेक्ट के तहत सुपर कपैसिटर बनाए हैं।
सचदेवा ने हाल में एक इलेक्ट्रानिक सम्मेलन में कहा था, “परीक्षण और रणनीतिक उपयोग के लिए इनका मानकीकरण करने के बाद हम इस प्रौद्योगिकी का स्थानांतरण अपनी निगरानी में उत्पादन के लिए कर देंगे, ताकि इनका उपयोग औद्योगिक और उपभोक्ताओं की जरूरत के लिए भी हो सके।”
सचदेवा ने कहा, “टैंक और बंदूक जैसे रक्षा साजो-सामान में इस्तेमाल होने के साथ-साथ, सुपर कपैसिटर उपग्रह और राकेट लांचर जैसे अंतिरक्ष सामानों में भी इस्तेमाल किए जा सकते हैं।”
इनके अलावा सुपर कपैसिटर का इस्तेमाल बेहद महंगी कारों, लग्जरी बसों, तेज रफ्तार रेलगाड़ियों, क्रेनों और बहुमंजिला इमारतों की तेज लिफ्ट में किया जा सकता है।
सचदेवा ने कहा, “देश में सुपर कपैसिटर के इस्तेमाल की अपार संभावनाएं हैं। ये इलेक्ट्रोलाइटिक कपैसिटर के मुकाबले 10 से 100 गुना अधिक प्रति यूनिट ऊर्जा का संग्रह कर सकते हैं और इलेक्ट्रोलाइटिक कपैसिटर एवं रिचार्ज होने योग्य बैट्री के बीच के फर्क को भी दूर कर सकते हैं। “
सी-एमईटी की हैदराबाद और पुणे स्थित दो अन्य प्रयोगशालाओं में सुपर कपैसिटर बनाने की सुविधाओं के लिए दो से पांच करोड़ रुपये का निवेश किया गया है।