वाराणसी/ब्यूरो
काश्यां मरणे मुक्ति। ब्रह्मवैवर्त पुराण के मुताबिक वाराणसी में मोक्ष हर किसी की चाहत होती है, लेकिन अंतिम समय में काशीवास हर किसी के लिए संभव नहीं होता। इसीलिए दुनिया में हिंदू मत से प्रभावित कुछ वेबसाइटों ने इसकी जिम्मेदारी उठाना शुरू किया है।
इंग्लैण्ड की सेक्रेट राइट्स ऑफ गंगा और काशी मोक्ष डॉट कॉम के बाद अब वाराणसी के ही चार नौजवानों ने अंत्येष्टि डॉट कॉम तैयार की है। इसी तरह इलाहाबाद व हरिद्वार में भी देश-विदेश से कोरियर द्वारा अस्थियों को लाकर प्रवाहित करने का चलन बढ़ा है।
वाराणसी में तर्पण फाउंडेशन नामक संस्था ने इस काम के लिए इंटरनेट का सहारा लिया और अंत्येष्टि डाट ओआरजी नाम से वेबसाइट बना डाली।
कुछ ही माह में इस वेबसाइट के जरिए 13 लोगों ने� रजिस्ट्रेशन कराया और कोरियर से अस्थियां काशी भेजी। तर्पण संस्था ने विधि-विधान के साथ उनका तर्पण कराया और इसकी सूचना भेज दी।
संस्था इस पर आने वाला सारा खर्च खुद वहन करती है।� विदेशों से भी लोगों ने इस पवित्र काम के लिए वेबसाइट के जरिए संपर्क साधा है।
इंग्लैंड के कुछ धर्म परायण लोगों ने सेक्रेट राइट्स ऑफ गंगेज डॉट काम नाम की वेबसाइट बनाई है, लेकिन यह संस्था पूजन और तर्पण के लिए शुल्क वसूलती है।
इसी प्रकार वाराणसी के ही तीर्थयात्री ने काशी मोक्ष डॉट काम नामक वेबसाइट बनाई है। इस पर अंतिम संस्कार का शुल्क तो नहीं लिया जाता है लेकिन दान के माध्यम से सहयोग की अपील जरूर की गई है।
हरिद्वार में पार्सल व कोरियर से आने वाली अस्थियों को गंगा में प्रवाहित करने का चलन दशकों पुराना है, लेकिन अब इस चलन में विदेशी लोग ज्यादा रुचि लेने लगे हैं।
हरिद्वार में ऐसी संस्थाएं भी अपना काम शुरू कर चुकी हैं जो दिल्ली, राजस्थान, मध्यप्रदेश, पंजाब, हरियाणा और पंजाब से लावारिसों की अस्थियां लाकर गंगा में प्रवाहित करती हैं।
इलाहाबाद में पहले यह काम तीर्थ पुराहित करते थे, लेकिन अब कोरियर द्वारा अस्थियों को लाकर गंगा में प्रवाहित करने का चलन बढ़ गया है।
सबको मिले मोक्ष में स्थान
जो लोग अपने पितरों की अस्थियां गंगा में प्रवाहित नहीं कर सकते उनकी मदद के लिए कई संस्थाएं काम कर रही हैं।
तीर्थ पुरोहित विपिन कुमार पांडेय ‘गोर’ के मुताबिक अहमदाबाद की संस्था सद्विचार परिवार पूरी दुनिया से भारतीयों की अस्थियां एकत्र करती है। फिर उनका कोई प्रतिनिधि संगम आकर कर्मकांड के साथ अस्थियों का विसर्जन कराता है।
पाकिस्तान से भी आती हैं अस्थियां
पाकिस्तान में रहने वाले हिंदू प्रतिवर्ष समय-समय पर अपने मृतकों की अस्थियां लेकर हरिद्वार आते हैं। जो नहीं ला पाते, वे हिंदू मोहल्लों में बने मंदिरों में अस्थियां रख जाते हैं ताकि कभी गंगा तट पर जाने का अवसर मिले, तो अस्थि प्रवाहित कर दिया जाए। वर्ष2009 में भारत की कुछ धार्मिक संस्थाएं पाकिस्तान से सामूहिक अस्थियां हरिद्वार लेकर आई थीं।