नई दिल्ली/चंडीगढ़, 15 जनवरी (आईएएनएस)। पीपुल्स पार्टी ऑफ पंजाब (पीपीपी) के प्रमुख मनप्रीत सिंह ने शुक्रवार को अपनी पार्टी का कांग्रेस में विलय करने की घोषणा की है। इस विलय से 2017 के विधानसभा चुनाव में शिरोमणि अकाली दल-भारतीय जनता पार्टी गठबंधन को कांग्रेस से कड़ी चुनौती मिलेगी। गौरतलब है कि मनप्रीत मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के भतीजे हैं।
इस विलय की घोषणा कांग्रेस मुख्यालय में पंजाब कांग्रेस के प्रमुख अमरिंदर सिंह और वरिष्ठ नेताओं शकील अहमद, अंबिका सोनी और प्रताप सिंह बाजवा की मौजूदगी में की गई।
अमरिंदर ने इस मौके पर कहा कि कांग्रेस को पंजाब में पिछले दो विधानसभा चुनावों में वोटों के बहुत मामूली अंतर से हार का सामना करना पड़ा था। इसलिए पार्टी गठबंधन की कोशिश में है। उन्होंने कहा कि पीपीपी के विलय के बाद कांग्रेस अब वाम दलों और बहुजन समाज पार्टी को संभावित सहयोगी के रूप में देख रही है।
उन्होंने कहा कि मनप्रीत सिंह बादल की पूरे पंजाब में पहचान है और उनकी पार्टी की सभी जिलों में उपस्थिति है।
मनप्रीत बादल ने कहा कि वह बिना शर्त अपनी पार्टी के कांग्रेस में विलय की घोषणा करते हैं। उन्होंने कहा कि वह पंजाब के सबसे कम उम्र के विधायक और वित्तमंत्री रह चुके हैं। उन्होंने कहा कि एक समय में पंजाब देश के अग्रणी राज्यों में से एक था, लेकिन अब वह बुरी तरह पिछड़ गया है।
मनप्रीत ने कहा कि उन्होंने कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी से तीन बार मुलाकात की और उनका जोर पंजाब के एजेंडे पर था। मनप्रीत ने कहा, “हमने राहुल गांधी से मिलकर पंजाब में बदलाव के लिए 11 सूत्री ज्ञापन सौंपा। जिसे उन्होंने स्वीकार करते हुए कहा कि उनकी पार्टी का भी यही एजेंडा है।”
उन्होंने कहा कि पंजाब में कांग्रेस ही एकमात्र विकल्प है। उन्होंने हमें काफी मान-सम्मान दिया है और हमारे दिलों को जीत लिया है।
यह पूछे जाने पर कि उन्होंने आम आदमी पार्टी के साथ हाथ क्यों नहीं मिलाया, बादल ने कहा, “पंजाब को लेकर उनका कोई खाका नहीं है। हम कांग्रेस को बड़ा, बेहतर और एक अनुभवी मंच समझते हैं। हमारी कोशिश होगी कि पंजाब में कांग्रेस की सरकार बने।”
कांग्रेस ने ट्विटर पर लिखा, “मनप्रीत जी के आने का हम स्वागत करते हैं। उनकी पार्टी के सभी सदस्य राहुल जी से आकर मिले और हमारे चुनाव अभियान की अच्छी शुरुआत हुई है।”
कांग्रेस पंजाब में मुख्य विपक्षी दल है। पीपीपी ने मार्च 2014 में हुए आम चुनाव के दौरान कांग्रेस के साथ गठबंधन किया था।
मनप्रीत 2014 लोकसभा चुनाव में भटिंडा से प्रत्याशी थे, लेकिन वे यह सीट सुखबीर सिंह बादल (जो उनके चचेरे भाई हैं) की पत्नी हरसिमरत कौर से 20,000 वोटों के अंतर से हार गए थे।
पीपीपी ने इससे पहले 2012 के विधानसभा चुनाव में वाम पार्टियों समेत कई छोटे पार्टियों के साथ ‘साझा मोर्चा’ के नाम से गठबंधन किया था। लेकिन ना तो पीपीपी और न ही गठबंधन के किसी दल का कोई नेता चुनाव जीत पाया था।
हालांकि इस चुनाव में पीपीपी को छह प्रतिशत मत हासिल हुए, जिसके कारण कांग्रेस के वोट कट गए और वह 46 सीटों पर सिमट कर रह गई। शिरोमणि अकाली दल को 56 सीटों पर जीत हासिल हुई। भाजपा को 12 सीटें मिली और 117 सीटों की विधानसभा में तीन सीटें स्वतंत्र उम्मीदवारों को मिलीं।
मनप्रीत अक्टूबर 2010 तक शिरोमणि अकाली दल में थे, लेकिन मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के साथ मतभेदों के कारण उन्होंने वित्तमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और पार्टी से अलग हो गए। उन्होंने 2011 में पीपीपी का गठन किया था।