शहर की आधिकारिक वेबसाइट पर जारी बयान के मुताबिक, ये शरणार्थी सीरियाई मूल के हैं, जिनकी उम्र 21 से 45 वर्ष के बीच है और देश में उनकी नागरिकता को दर्जा दिया गया है। ये लोग अभी भी घरों के बजाए अस्थाई शरणार्थी शिविरों में रह रहे हैं।
शहर के प्रमुख पीटर ड्रेयर का कहना है कि बर्लिन में बस भेजकर वह संघीय सरकार को यह संदेश देना चाहते हैं कि मौजूदा शरणार्थी नीति कारगर नहीं है और इसे जारी नहीं रखा जा सकता।
ड्रेयर ने कहा, “शरणार्थियों का प्रवाह रुकने का नाम नहीं ले रहा है। हमारे देश में शरणार्थियों के लिए सुविधाएं तेजी से समाप्त हो रही हैं और इनके लिए नई सुविधाएं भी नहीं बन पाई हैं। यदि हम अपने नागरिकों की चिंताओं को गंभीरता से नहीं ले सकते तो इससे हमारे देश की सामाजिक और आंतरिक शांति खतरे में पड़ जाएगी।”