नई दिल्ली, 5 जनवरी (आईएएनएस)। कांग्रेस ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से यह बताने को कहा कि पाकिस्तान ने उनसे वे कौन से वादे किए थे, जिनकी वजह से दोनों देशों के बीच समग्र बातचीत शुरू करने का निर्णय ले लिया गया।
कांग्रेस ने यह सवाल पठानकोट पर संदिग्ध पाकिस्तानी आतंकवादियों के हमले की पृष्ठभूमि में पूछे हैं। इस हमले में सात सुरक्षाकर्मी शहीद हुए हैं। जबकि, छह आतंकवादी मारे गए हैं।
कांग्रेस प्रवक्ता आनंद शर्मा ने कहा, “अगस्त में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) स्तर की वार्ता रद्द कर दी गई थी। इसके बाद दोनों देशों के एनएसए बैंकाक में मिले। हम जानना चाहते हैं कि बैठक में किस बात पर चर्चा हुई थी और दोनों देशों के बीच इस तरह के हमलों (पठानकोट हमले) से निपटने पर क्या सहमति बनी थी?”
कांग्रेस प्रवक्ता ने पूछा, “हम जानना चाहते हैं कि लाहौर की अकस्मात और चौंकाने वाली यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री (नरेंद्र मोदी) से क्या वादे किए गए थे। हम जानना चाहते हैं कि क्या इस यात्रा को पाकिस्तान के सत्ता प्रतिष्ठान के सभी पक्षों -सेना और (खुफिया संस्था) आईएसआई- का समर्थन हासिल था या नहीं?”
शर्मा ने कहा कि 25 दिसंबर को जब मोदी लाहौर में उतरे थे, उस वक्त पाकिस्तान के एनएसए नसीर खान जंजुआ वहां मौजूद नहीं थे। उन्होंने पूछा, “क्या इससे हमें यह संदेश नहीं मिला था कि दोनों देशों के संबंधों को बेहतर बनाने के मामले में पाकिस्तान के सत्ता प्रतिष्ठान के सभी पक्षों का रुख समान नहीं है?”
उन्होंने कहा कि मुंबई के आतंकी हमले के बाद वार्ता की शर्त यही होनी चाहिए कि पाकिस्तान अपने वादे पूरे करे। शर्मा ने कहा, “लेकिन वे अपने वादों पर कायम नहीं रह सके। पहला वादा यह था कि वे मुंबई हमलों के आकाओं को सजा देंगे, उसके बाद ही पाकिस्तान से समग्र वार्ता शुरू होगी।”
कांग्रेस प्रवक्ता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आग्रह किया कि उन्हें पठानकोट के वायुसेना अड्डे पर हुए आतंकवादी हमले के मामले में विपक्ष से विचार-विमर्श करना चाहिए।
शर्मा ने कहा, “हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आग्रह कर रहे हैं कि वह राष्ट्र को विश्वास में लें और इस मामले में प्रमुख विपक्षी दलों के नेतृत्व से सलाह-मशविरा करें।”
शर्मा ने कहा, “पठानकोट हमला महज आतंकी हमला या मानवता पर ही हमला नहीं है। यह भारत पर हमला है। यह राष्ट्र पर हमला है। हमें इसमें साजिश नजर आ रही है क्योंकि पठानकोट पर हमले के साथ ही अफगानिस्तान के मजारे शरीफ में भारत के वाणिज्य दूतावास पर हमला किया गया।”
शर्मा ने कहा कि रूस के उफा में प्रधानमंत्री मोदी और प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के बीच बनी सहमति के बाद पंजाब के गुरदासपुर में सीमापार से हमला हुआ। यह (पठानकोट) हमला भी उसी तरह का है। इसलिए इसे भारत पर हमला कहा जाना चाहिए।