हरिद्वार। धारी देवी मंदिर को बचाने के लिए संतों सहित विभिन्न संगठनों ने आवाज उठाई है। संतों ने ऐलान किया कि धारी देवी मंदिर को डूबने नहीं दिया जाएगा। अगर मंदिर को सरकार ने नहीं बचाया तो आंदोलन किया जाएगा।
गुरुवार को हुई संतों की बैठक में पूर्व गृह राज्य मंत्री स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती ने कहा कि धारी देवी उत्तराखंड की रक्षक है आज उसी पर संकट है। उन्होंने कहा कि मंदिर को बचाकर भी बिजली परियोजना पूरी की जा सकती है। केंद्र सरकार ने पिछले साल मंदिर को बचाने का आश्वासन दिया था। स्वयं प्रधानमंत्री ने भी धारी देवी मंदिर को न डूबने देने की बात कही थी। स्वामी राजराजेश्वराश्रम महाराज ने कहा कि सरकार के आश्वासन के बाद भी ऐसी सूचनाएं मिल रही हैं कि सरकार 13 मई को बिजली परियोजनाओं के नाम पर धारी देवी मंदिर का अस्तित्व मिटाने का काम करने वाली है। उन्होंने कहा कि आस्था व विकास में संतुलन कायम करके भी विकास किया जा सकता है। महामंडलेश्वर कैलाशानंद ब्रह्मचारी ने कहा कि बिजली परियोजना की डीपीआर में धारी देवी डूब क्षेत्र में नहीं था। अब सरकार उसे डुबोने जा रही है। संतों ने कहा कि अगर तेरह मई को धारी देवी मंदिर को डुबाया तो उसका तीखा विरोध किया जाएगा। अखंड बोध गंगा आश्रम ने भी धारी देवी मंदिर को डूबने देने का विरोध किया है। साध्वी गंगादास, साध्वी सुशीला उदासीन, स्वामी वेदांतानंद, स्वामी योगेश्वराश्रम, स्वामी विज्ञानानंद, ब्रह्मचारिणी समर्पिता ने कहा कि निजी स्वार्थो के लिए मंदिर को नहीं डूबने दिया जाएगा। पुरी के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती की ओर से भी बयान जारी किया गया है। उन्होंने कहा कि विकास के नाम पर केंद्र व प्रदेश सरकार बांध, नहर व सुरंग में गंगा को कैद करने का प्रयास कर रही है। सरकार के फैसले देश के लिए घातक हैं। उन्होंने कहा कि सांस्कृतिक और सामाजिक धरातल पर इस तरह के फैसले गलत हैं।