नहर निर्माण के जटिल कार्यों की मुख्यालय से समीक्षा की व्यवस्था
नर्मदा घाटी की निर्माणाधीन सिंचाई परियोजनाओं से निर्माण के दौरान ही सिंचाई का लाभ किसानों को देने के लिये मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की पहल के फलस्वरूप पिछले पांच वर्ष में परियोजनाओं से वास्तविक सिंचाई का रकबा पेंतीस हजार से बढ़कर ढाई लाख हेक्टेयर तक पहुँच गया है। वर्ष 2008-09 में निर्माणाधीन परियोजनाओं से 35 हजार 970 हेक्टेयर रकबा सिंचित हुआ था। जबकि वर्ष 2009-10 में यह बढकर 47 हजार 750 और वर्ष 2010-11 में 85 हजार 915 हेक्टेयर हो गया। परियोजनाओं के नहरों के निर्माण को गति मिलने से वर्ष 2011-12 में एक लाख 800 हेक्टेयर रकबे को सिंचित किया गया। वर्ष 2012-13 में रबी फसलों के लिये 2 लाख 50 हजार हेक्टेयर रकबे में सिंचाई जल उपलब्ध करवाया गया।
इंदिरा सागर और ओंकारेश्वर परियोजनाओं की नहर प्रणाली के जटिल कार्यों को समय सीमा में पूरा करने के लिये मुख्यालय से मानीटरिंग की व्यवस्था की जा रही है। इस व्यवस्था के चलते गत वर्ष इंदिरा सागर की 155 किलोमीटर तक मुख्य नहर का निर्माण पूर्ण कर जल प्रवाहित किया गया। वर्तमान में 160 किलोमीटर तक मुख्य नहर का निर्माण पूरा हो चुका है। आगामी अक्टूबर तक 206 किलोमीटर तक मुख्य नहर निर्माण के लक्ष्य पर कार्य किया जा रहा है। ओंकारेश्वर परियोजना दाँयीं मुख्य नहर पर रेलवे क्रासिंग के एक जटिल निर्माण कार्य को पूर्ण कर लिया गया है। मुख्य नहर के 38 से 43 किलोमीटर कार्य को नर्मदा बचाओ आन्दोलन के विरोध और भौतिक हस्तक्षेप के बावजूद पूर्ण किया गया। आगामी माह जून तक परियोजना की मुख्य नहर को 168 किलोमीटर तक कॉरम एक्वाडक्ट पूर्ण कर जल प्रवाहित करने का लक्ष्य है।
रानी अवंती बाई सागर परियोजना नहर प्रणाली की क्षमता बढाने के लिये मुख्यमंत्री द्वारा स्वीकृत 166 करोड़ की राशि से निर्माण कार्य प्रगति पर है इसमें से 76 करोड़ की लागत के कार्य शहपुरा-पाटन क्षेत्र में आगामी महीनों में आरम्भ किये जायेंगे। परियोजना से गत रबी सीजन में 77 हजार हेक्टेयर और खरीफ सीजन में 8 हजार 500 हेक्टेयर रकबा सिंचित हुआ। बरगी डायवर्जन परियोजना में भी 104 किलोमीटर तक जल प्रवाह करने से 17 हजार हेक्टेयर रकबा सिंचित हुआ है।