सोनपुर (बिहार), 17 दिसम्बर (आईएएनएस)। बिलथ सिंह, रामनरेश सिंह, सच्चिदानंद चौधरी और केदारनाथ ठाकुर, ये चारों लोग गायों के व्यापारी हैं। एक और बात इनमें समान है और वह है इनकी चिंता जो सोनपुर के मेले में इनके बहुत तेजी से घटते कारोबार से पैदा हुई है।
सोनपुर (बिहार), 17 दिसम्बर (आईएएनएस)। बिलथ सिंह, रामनरेश सिंह, सच्चिदानंद चौधरी और केदारनाथ ठाकुर, ये चारों लोग गायों के व्यापारी हैं। एक और बात इनमें समान है और वह है इनकी चिंता जो सोनपुर के मेले में इनके बहुत तेजी से घटते कारोबार से पैदा हुई है।
सोनपुर में एशिया का सबसे बड़ा पशु मेला लगता है। यहां इनकी अच्छी कमाई होती थी, लेकिन इस बार हालात बदल गए हैं और इसके लिए ये जिम्मेदार बता रहे हैं उग्रपंथी और गलत सूचना के शिकार हिंदू संगठनों को। इनका कहना है कि इन हिंदू संगठनों की वजह से यह मशहूर मेला ‘तबाह’ हो गया है।
परेशान दिख रहे बिलथ सिंह ने आईएएनएस से कहा, “गाय विक्रेता के रूप में हमारे व्यवसाय पर हाल के सालों में बुरा असर पड़ा है। लेकिन गोमांस और गोहत्या पर हो रही राजनीति की वजह से हमारे लिए यह साल सबसे बुरा साबित हो रहा है।”
बिलथ ने कहा, “इस साल हम बीते साल के मुकाबले आधी गाय बेचने के लिए लाए हैं। विक्रेता और खरीदार विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल के भाजपा समर्थित कथित गऊ संरक्षण अभियान की वजह से डरे हुए हैं। बीते 40 साल में ऐसा कभी नहीं दिखा कि खरीदार नदारद हों।”
इस आशय की खबरें हैं कि माहौल में मौजूद तनाव की वजह से विक्रेता झारखंड, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश और यहां तक कि असम चले गए हैं जहां गायों की बिक्री पर कम चर्चा हो रही है।
रामनरेश सिह और सच्चितानंद चौधरी ने भी कारोबार में इतनी अधिक गिरावट के लिए भाजपा की गोमांस राजनीति को जिम्मेदार बताया।
सिंह ने आईएएनएस से कहा, “हम दशकों से गाय के व्यापार में लगे हुए हैं लेकिन कभी भी स्थिति आज जैसी नहीं रही। बीते साल इस मेले में 2000 गायें बिकने आई थीं। इस साल 100 आईं हैं। पांच साल पहले 25000 गायें बिकने के लिए आती थीं और आधी से अधिक बिक जाती थीं। अभी तक हम एक भी गाय नहीं बेच सके हैं। यह हमारे लिए बदतरीन हालत है।”
केदारनाथ ठाकुर ने कहा कि वह अभी तक सिर्फ तीन गाय बेच सके हैं। पिछले साल उनकी 25 गायें बिकी थीं।
ठाकुर ने कहा, “इसके लिए गाय संरक्षण की राजनीति जिम्मेदार है। यहां हम गायें सिर्फ दूध देने के लिए बेचते हैं, उन्हें काटने के लिए नहीं।”
बात सिर्फ गाय की नहीं है। भैंस की बिक्री पर भी बहुत बुरा असर पड़ा है।
आकाश कुमार राय अपने पिता के साथ भैंसों को लेकर मेले में आए हैं। उन्होंने बताया, “अभी तक हम एक भी भैंस नहीं बेच सके हैं। आप हमारे नुकसान का अंदाज लगा सकते हैं।”
गया जिले के बेलहारी ग्राम पंचायत के पूर्व प्रमुख और अवकाश प्राप्त सरकारी अधिकारी नौनु सिंह सोनपुर मेले में हर साल आते हैं। उन्होंने कहा कि यह देश और बिहार के लिए दुखद है कि यह अनूठा पशु मेला आज अपनी पहचान खोने के कगार पर है। गोमांस और गोहत्या पर मचे विवाद ने मेले को तबाह कर दिया है।
उन्होंने कहा कि तमाम राज्य और केंद्र सरकारें इस मेले में नई जान फूंकने में नाकाम रही हैं।