इस्लामाबाद, 8 दिसम्बर (आईएएनएस)। एक मंत्रीस्तरीय सम्मेलन के एजेंडे को अंतिम रूप देने के लिए मंगलवार को यहां हार्ट ऑफ एशिया इस्तांबुल प्रक्रिया बैठक शुरू हुई। सम्मेलन बुधवार को आयोजित किया जाएगा।
इस्लामाबाद, 8 दिसम्बर (आईएएनएस)। एक मंत्रीस्तरीय सम्मेलन के एजेंडे को अंतिम रूप देने के लिए मंगलवार को यहां हार्ट ऑफ एशिया इस्तांबुल प्रक्रिया बैठक शुरू हुई। सम्मेलन बुधवार को आयोजित किया जाएगा।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के विदेशी मामलों के सलाहकार सरताज अजीज और अफगान के उप विदेश मंत्री खलील हेकमत करजई ने वरिष्ठ मंत्रियों की दिन भर की बैठक का उद्घाटन किया।
उद्घाटन सत्र में करजई ने कहा, “हार्ट ऑफ एशिया बैठक ऐसे जटिल समय में शुरू हो रही है जब क्षेत्र आतंकवाद समेत कई चुनौतियों से जूझ रहा है।”
करजई ने साथ ही कहा, “अफगानिस्तान आतंकवाद के हर रूप और अभिव्यक्ति के खिलाफ लड़ाई जारी रखने के लिए प्रतिबद्ध है।”
अजीज ने कहा कि पाकिस्तान अफगानिस्तान में स्थायी शांति चाहता है क्योंकि वहां अस्थिरता पाकिस्तान के हित में नहीं है।
अजीज ने कहा, “पाकिस्तान अफगानिस्तान में शांति और सुरक्षा सदृढ़ करने के सभी प्रयासों को समर्थन देना जारी रखेगा।”
अजीज ने कहा कि 2011 में हार्ट ऑफ एशिया सम्मेलन लॉन्च करने के बाद से मंच ने अफगानिस्तान में स्थायी शांति और स्थिरता बढ़ाने के अपने मूल लक्ष्य को हासिल करने में काफी सफलता प्राप्त की है।
दोनों नेताओं ने आर्थिक सहयोग और क्षेत्रीय संपर्क की भी पैरवी की।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ और अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ घानी बुधवार को संयुक्त रूप से पांचवी ‘हार्ट ऑफ एशिया-इस्तांबुल प्रक्रिया’ बैठक का उद्घाटन करेंगे।
सम्मेलन का थीम ‘हार्ट ऑफ एशिया-इस्तांबुल प्रक्रिया : हार्ट ऑफ एशिया क्षेत्र में सुरक्षा के खतरों को दूर करने और संपर्क बढ़ाने के लिए वर्धित सहयोग’ है।
भारत, चीन, ताजिकिस्तान और ईरान समेत 10 देशों के विदेश मंत्रियों ने भागीदारी पर सहमति जताई है।
भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज बैठक में सम्मिलित होने के लिए मंगलवार को इस्लामाबाद पहुंचेंगी।
सुषमा हार्ट ऑफ एशिया सम्मेलन से इतर शरीफ और अजीज से भी मुलाकात करेंगी।
हार्ट ऑफ एशिया प्रक्रिया 2011 में अफगानिस्तान और तुर्की की पहल पर गठित हुई थी। इसका मुख्य उद्देश्य अफगानिस्तान और इस क्षेत्र में दीर्घकालिक शांति और स्थायित्व और साथ ही प्रगति और विकास को बढ़ाने के लिए क्षेत्रीय सहयोग और संपर्क को बढ़ाना है।