सुंदरनगर। नगर परिषद सुंदरनगर के बनेड वार्ड स्थित ऐतिहासिक सूरजकुंड मंदिर लालफीताशाही के अंधेरे में दम तोड़ता नजर आ रहा है।
करीब 300 साल पहले निर्मित मंदिर आज अतिक्रमण के चलते अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है। दुखद पहलू यह है कि चढ़ावा राशि का पैसा मंदिर के जीर्णोद्वार पर कम और कोर्ट केस में ज्यादा खर्च किया जा रहा है। उत्तर भारत के एकमात्र सूर्य मंदिर की देखरेख का दायित्व स्थानीय प्रशासन पर है। सुविधा तो दूर मंदिर में पुजारी तक की व्यवस्था नहीं है। मंदिर के मुख्यद्वार पर लटका ताला श्रद्धालुओं की श्रद्धा को ठेस पहुंचा रहा है। राजस्व विभाग के रिकार्ड में मंदिर के नाम करीब पौने आठ बीघा भूमि है लेकिन अतिक्त्रमण से भूमि सिंकुड़कर करीब पांच बीघा रह गई है। जीर्णोद्धार तो दूर प्रशासन मंदिर में रंग-रोगन करवाने की हिम्मत भी नहीं जुटा पा रहा है। हालांकि मंदिर कमेटी के पास करीब एक लाख रुपये का कोष है। संरक्षण के अभाव में मंदिर इतिहास के पन्नों में सिमटने के कगार पर पहुंच गया है।