बैंकॉक, 4 दिसम्बर (आईएएनएस)। हिंद महासागर में अनियमित आव्रजन के मुद्दे पर दूसरा अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन शुक्रवार को थाईलैंड की राजधानी में शुरू हो गया। इसमें लगभग एक दर्जन देश, यूरोपीय संघ (ईयू) और संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों के प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं।
एफे न्यूज की रपट के मुताबिक, मानव तस्करों की नौकाओं द्वारा बांग्लादेश व म्यांमार के हजारों लोगों के पलायन के कारण क्षेत्र में पैदा हुए मानवीय संकट से निपटने पर एक बैठक मई महीने में हुई थी। इस सम्मेलन में मई की बैठक में हुई चर्चा को आगे बढ़ाया जाएगा।
इन नौकाओं से जाने वाले लोगों में अधिकांशत: रोहिंग्या समुदाय के लोग हैं, जो म्यांमार के मुस्लिम अल्पसंख्यक समूह से हैं। उन्हें म्यांमार की नागरिकता नहीं मिली है और वे ‘जातीय सफाए’ के शिकार हैं।
थाईलैंड के विदेश मंत्री डॉन प्रमुदविनाई ने सम्मेलन के उद्घाटन के दौरान कहा, “मैं उम्मीद करता हूं कि चर्चा का परिणाम ठोस व लक्ष्योन्मुख कार्रवाई के रूप में सामने आएगा, जिसका देश भविष्य में नहीं, बल्कि अभी से ही क्रियान्वयन शुरू कर देंगे।”
डॉन ने चेतावनी देते हुए कहा कि बांग्लादेशी प्रवासी व रोहिंग्या अपनी अनिश्चित यात्रा को थाईलैंड की तरफ शुरू कर सकते हैं। वे थाईलैंड टिकने नहीं आएंगे बल्कि यहां से होकर मलेशिया और इंडोनेशिया की तरफ जा सकते हैं।
मंत्री के मुताबिक, संकट के समाधान के लिए जरूरी है कि जिस देश में ये लोग हैं वहीं उनकी देखभाल की जाए, मानव तस्करी के नेटवर्क को तबाह किया जाए और लोगों को इस जानलेवा यात्रा में शामिल होने से रोका जाए।
डान ने कहा कि रोहिंग्या लोगों के नागरिकता के अधिकार का मुद्दा वार्ता के एजेंडे में शामिल नहीं है लेकिन उन्होंने माना कि यह समस्या का एक हिस्सा है।