नई दिल्ली, 4 दिसम्बर (आईएएनएस)। दुनिया में एचआईवी के बढ़ रहे मामलों के मद्देनजर, एचआईवी के हाई-रिस्क में आने वाले लोगों को इसके विषाणु के संपर्क में आने से पहले रोग प्रतिरोधक दवा लेने की सलाह दी जाती है, क्योंकि प्रयोगाधीन दवा के नियमित सेवन से एचआईवी संक्रमण के मामलों में 48 से 75 प्रतिशत तक कमी दर्ज की गई। हर साल दुनिया भर में 20 लाख नए एचआईवी संक्रमण के मामले सामने आते हैं।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के अध्यक्ष ए. मरतड पिल्लई और मानद महासचिव व हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डॉ. के.के. अग्रवाल ने कहा, “यह बेहद जरूरी है कि मरीजों को कंडोम प्रयोग करने के लिए जागरूक किया जाए। इसके साथ ही टेनोफोविर-एम्ट्रीसिटाबाईन दवा उन लोगों को दी जाए, जो एचआईवी से संक्रमित नहीं हैं, लेकिन उन्हें यौन संबंधों के जरिए इसका अत्यधिक खतरा है। उन्हें नियमित रूप से दवा लेने के लिए वचनबद्ध किया जाना चाहिए। यह दवा भारत में उपलब्ध है। हाई-रिस्क वाले मरीजों को इसके बारे में अपने चिकित्सक से जानकारी लेनी चाहिए।”
जुलाई 2012 में यूएस एफडीए ने उन एचआईवी-नेगेटिव मरीजों को प्री-एक्सपोजर प्रोफिलेक्सीज देने की मान्यता दी, जिन्हें यौन संबंधों के जरिए एचआईवी संक्रमण होने का अत्यधिक खतरा है। यह संयुक्त दवा हर रोज तब तक लेनी होती है, जब तक संक्रमण का खतरा रहता है। अगर यह दवा लेने की सलाह दी जाती है, तो इसे 90 दिनों की खुराक के रूप में देना चाहिए और इसके बाद एचआईवी टेस्ट के बाद ही अगले दिनों के लिए दवा देनी चाहिए।
प्री-एक्सपोजर प्रोफिलेक्सीज की शुरुआत करने से पहले मरीजों को अपने एचआईवी एंटीबॉडी जांच करवा लेनी चाहिए, ताकि यह पक्का हो सके कि उन्हें क्रॉनिक एचआईवी संक्रमण तो नहीं है।