Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/load.php on line 926

Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/formatting.php on line 4826

Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/formatting.php on line 4826

Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/formatting.php on line 4826
 फिर योग तंत्र की धुरी बनेगी सप्तपुरी | dharmpath.com

Monday , 25 November 2024

ब्रेकिंग न्यूज़
Home » धर्म-अध्यात्म » फिर योग तंत्र की धुरी बनेगी सप्तपुरी

फिर योग तंत्र की धुरी बनेगी सप्तपुरी

24_04_2013-sptapuriवाराणसी। देवाधिदेव की काशी और वह ही इसके पुराधिपति। भला इसके आकार या विस्तार का पार पाना कहां संभव। वह भी तब जबकि इसमें ही सातोंपुरियां समाहित हों। गुरु की महिमा को विस्तार देते व योग व तंत्र साधना की धुरी। बात हो रही है गुरुधाम मंदिर की जो पुरातत्व की सूची में बद्ध और अनमोल धरोहर भी है। वक्त के थपेड़ों से दीवारें जर्जर और स्तंभ कमजोर लेकिन अब इन सप्त पुरियों का वास्तविक स्वरूप फिर से निखरेगा और एक बार फिर योग तंत्र की धुरी बनेंगी।

पुरातात्विक महत्व के इस अनूठे मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए सलाहकार संस्था के अभियंताओं ने सर्वे कर लिया है। आगणन के साथ रिपोर्ट मई से पहले तैयार करने का लक्ष्य है और जून से कार्य शुरू की योजना। मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए शासन 13वें वित्त आयोग के तहत 1.47 करोड़ रुपये जारी कर चुका है। इसके पुरातात्विक व अध्यात्मिक महत्व को देखते हुए 1987 में शासन ने अधिग्रहण किया। अतिक्रमण की चपेट में कतरा-कतरा खत्म हो रहा मंदिर 2007 में पुरातत्व विभाग के कब्जे में आया। चौकसी के लिए इसमें ही कैंप कार्यालय भी स्थापित है। क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारी सुभाष यादव ने बताया कि मंदिर का आगणन तैयार किया जा रहा है। जल्द ही जीर्णोद्धार भी शुरू कर दिया जाएगा।

अनूठे मंदिर में गुरु वशिष्ठ राधाकृष्ण व शून्य को भी स्थान- योग व तंत्र साधना की विचारधारा से जुड़े इस गुरु मंदिर का राजा जयनारायण घोषाल ने 1814 में निर्माण कराया था। भारत में ऐसे तीन मंदिरों में यह एक है, दूसरा हंतेश्वरी बंगाल व तीसरा दक्षिण भारत के भदलूर में हैं। अष्टकोणीय मंदिर में आठ दिशाओं में आठ द्वार हैं। एक गुरुद्वार तो अन्य सात सप्तपुरियों के नाम पर यथा-अयोध्या, मथुरा, माया, काशी, कांची, अवंतिका व पुरी। तीन मंजिला भवन में प्रथम तल पर गुरु वशिष्ठ, दूसरे पर राधाकृष्ण और तीसरे खाली यानी शून्य का प्रतीक। पश्चिम ओर से बाहर निकलते ही बीचो बीच कुंड और दोनों किनारों पर सप्तपुरियों के प्रतीक सात-सात मंदिरों के अवशेष। आगे हाल में संगमरमर की चौकी पर अंकित राधाकृष्ण के चरण चिह्न और हाथी दांत से बनी गुरु की चरण पादुका।

फिर योग तंत्र की धुरी बनेगी सप्तपुरी Reviewed by on . वाराणसी। देवाधिदेव की काशी और वह ही इसके पुराधिपति। भला इसके आकार या विस्तार का पार पाना कहां संभव। वह भी तब जबकि इसमें ही सातोंपुरियां समाहित हों। गुरु की महिम वाराणसी। देवाधिदेव की काशी और वह ही इसके पुराधिपति। भला इसके आकार या विस्तार का पार पाना कहां संभव। वह भी तब जबकि इसमें ही सातोंपुरियां समाहित हों। गुरु की महिम Rating:
scroll to top