ढाका, 22 नवंबर (आईएएनएस)। बांग्लादेश ने 1971 के मुक्ति संग्राम के दौरान युद्ध अपराधों को अंजाम देने के लिए दोषी ठहराए गए दो राजनेताओं को शनिवार देर रात कड़ी सुरक्षा के बीच फांसी दे दी।
बांग्लादेश के युद्ध अपराध न्यायाधिकरण ने दोनों नेताओं को पाकिस्तान के सुरक्षाबलों के साथ मिलकर जनसंहार सहित अन्य अपराधों को अंजाम देने का दोषी पाया था।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ ने ढाका केंद्रीय कारा के जेल अधीक्षक जहांगीर कबीर के हवाले से कहा कि बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के नेता सलाहुद्दीन कादर चौधरी और बांग्लादेश जमात-ए-इस्लामी पार्टी के महासचिव अली एहसान मोहम्मद मुजाहिद को शनिवार देर रात 12.55 बजे फांसी दी गई।
‘डेली स्टार’ की रिपोर्ट के अनुसार, कारागार के महानिरीक्षक ब्रिगेडियर जनरल सैयद इफ्तिखर उद्दीन ने बताया कि दोनों को कड़ी सुरक्षा के बीच ढाका केंद्रीय कारा लाया गया था।
इससे पहले बांग्लादेश के राष्ट्रपति अब्दुल हामिद ने उन दोनों की दया याचिका खारिज कर उनकी फांसी पर मुहर लगा दी थी, जिसके कुछ घंटों बाद उन्हें फांसी दे दी गई।
मुजाहिद और चौधरी के परिजन उनसे आखिरी बार जेल मिलने आए थे। उनका दावा है कि उन्होंने राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका नहीं लगाई थी।
अधिकारियों ने दोनों नेताओं को फांसी देने के बाद अनहोनी की आशंका को देखते हुए राजधानी ढाका और देश के अन्य हिस्सों में सुरक्षा कड़ी कर दी है।
न्यायमूर्ति सुरेंद्र कुमार सिन्हा की अध्यक्षता वाली बांग्लादेश की शीर्ष अदालत की चार सदस्यीय पीठ ने बुधवार को मुजाहिद और चौधरी की पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी थी।
जमात-ए-इस्लाम पार्टी ने फांसी के विरोध में सोमवार को बंद का आह्वान किया है।