वाशिंगटन, 19 नवंबर (आईएएनएस)। नई इबोला वैक्सीन के पहले क्लीनिकल परीक्षण में पता चला है कि यह वैक्सीन पश्चिमी अफ्रीका और अमेरिका के व्यस्कों के लिए पूरी तरह सुरक्षित और प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत करने वाली है। इस अध्ययन में वैक्सीन का टेस्ट सबसे पहले स्वास्थ्य कर्मियों और कम रिस्क वाले लोगों पर किया गया।
इससे साफ हो गया है कि वैक्सीन के आगामी क्लीनिकल ट्रायल के बाद वैक्सीन का व्यापक स्तर पर निर्माण किया जा सकता है।
वैश्विक संघ के शोधार्थियों ने बताया कि माली में हो रहे कुछ बड़े परीक्षणों से साबित हो जाता है कि यह वैक्सीन स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित और प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत करने वाली है तो भविष्य में किसी खतरनाक वायरस के खिलाफ हम इसका इस्तेमाल एक बड़े हथियार के तौर पर कर सकते हैं। यह निष्कर्ष इबोला वायरस के संपर्क में आए लोगों को टीका लगाने के द्वारा प्राप्त कर लिया जाएगा।
मैरीलैंड स्कूल ऑफ मेडिसन यूनिवर्सिटी के एसोसिएट डीन ने बताया, “वैक्सीन का इंसानों पर इस्तेमाल करना एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे हमें जानकारी मिली है कि वैक्सीन सहनशीलता के गुणों के साथ ही व्यस्कों के प्रतिरक्षा तंत्र को भी मजबूत करने में योगदान देती है।”
शोधार्थियों ने यह भी पाया कि बूस्टर वैक्सीनेशन के साथ मिलकर वेक्टर वैक्सीनेशन इबोला एंटीजेंस का निर्माण करता है जो प्रतिरक्षा तंत्र को लंबे समय तक मजबूत बनाए रखता है।
इस वैक्सीन को बनाने में केवल एक इबोला प्रोटीन का ही इस्तेमाल किया गया है। वैज्ञानिकों के अनुसार, आगे के परीक्षणों में भी अगर वैक्सीन सुरक्षित और प्रभावी साबित होती है तो यह रोगियों के संपर्क में रहने वाले लोगों को भी वायरस के खतरे से दूर रखेगी।
यह रिपोर्ट पत्रिका ‘लैंन्सेट इन्फेक्शस डिसीसेज’ के ताजा अंक में प्रकाशित हुई है।