कोलकाता, 19 नवंबर (आईएएनएस)। पाकिस्तानी फिल्मकार एवं अभिनेता सरमद सुल्तान खूसट को अपनी पहली फिल्म ‘मंटो’ के भारत में ‘जल्द’ रिलीज होने की उम्मीद है। उनका कहना है कि भारतीय कलाकारों को ‘पाकिस्तानी एजेंट’ और ‘आंतकवादी’ कहे जाने से दोनों देशों की उस दोस्ती पर फर्क नहीं पड़ेगा जो कला और सिनेमा के माध्यम से दशकों में फली-फूली है।
कोलकाता, 19 नवंबर (आईएएनएस)। पाकिस्तानी फिल्मकार एवं अभिनेता सरमद सुल्तान खूसट को अपनी पहली फिल्म ‘मंटो’ के भारत में ‘जल्द’ रिलीज होने की उम्मीद है। उनका कहना है कि भारतीय कलाकारों को ‘पाकिस्तानी एजेंट’ और ‘आंतकवादी’ कहे जाने से दोनों देशों की उस दोस्ती पर फर्क नहीं पड़ेगा जो कला और सिनेमा के माध्यम से दशकों में फली-फूली है।
सरमद ने आईएएनएस से खास मुलाकात में कहा, “हमें मालूम है कि कुछ लोग ऐसी बातें कहते हैं। लेकिन, जो रिश्ते इतने लंबे अर्से में कायम हुए हैं, उनका ऐसे कुछ बयानों से भला क्या बिगड़ेगा। मुझे नहीं लगता कि हमारी विचारधारा इतनी कमजोर है कि इन बेतुकी बातों से हमारे संबंध खराब हो जाएंगे।”
सरमद ने कहा कि बंटवारे से लेकर आज तक दोनों देशों ने काफी उतार-चढ़ाव देखें हैं और बतौर राष्ट्र हम दोनों ही काफी लचीले हैं।
हाल में अभिनेता शाहरुख खान ने देश में असहिष्णुता पर बयान दिया था। इस पर कुछ भाजपा नेताओं ने उन्हें पाकिस्तानी एजेंट तक कह दिया था। सरमद ने कहा कि शाहरुख समेत दूसरे कलाकारों के पाकिस्तान में काफी प्रशंसक हैं। उनके मुताबिक चाहे शाहरुख का सिनेमाई करिश्मा हो या मशहूर पाकिस्तानी लेखक सआदत हसन मंटो का साहित्य हो, सिनेमा और साहित्य ने हमेशा ही दोनों देशों को जोड़ा है।
लाहौर निवासी सरमद का कहना है, “यह आगे भी ऐसे ही रहेगा। हमारी फिल्म ‘मंटो’ दोनों देशों के इसी साझा परंपरा को समर्पित है। और, जो साझा परंपरा है, वह दोस्ताना रिश्तों के लिए प्रभावी कूटनीतिक उपकरण भी हो सकती है। दोनों देशों के बीच संवाद चलते रहना चाहिए और सिनेमा इसका एक अच्छा माध्यम है।”
उन्होंने बताया कि वीजा होने के बावजूद उन्हें मुम्बई में अपनी फिल्म मंटो का प्रदर्शन टालना पड़ा। वॅ कहते हैं, “सच कहूं तो मैं डर गया था। हमें मीडिया रिपोर्टों में पढ़ने को मिलता है कि असहिष्णुता है।”
लेकिन, 21वें कोलकाता फिल्म समारोह में अपनी फिल्म का प्रदर्शन करने आए सरमद का डर अब निकल चुका है। सरमद स्वीकार करते हैं कि पाकिस्तानी गजल गायक गुलाम अली पर शिवसेना के बवाल के कारण वह डर गए थे। लेकिन, यहां आकर उनका डर निकल चुका है।
उन्होंने कहा, ” कुछ लोगों की वजह से सभी मुसलमानों को एक साथ बुरा घोषित कर देना ठीक नहीं है। यह गलत है कि दोनों ही देशों के लोगों को सच्चाई से दूर रखा जाए।”
उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि कलाकारों को आसानी से शिकार बनाया जा सकता है। इसलिए कलाकारों के बारे में ऐसी बातें की जाती हैं।”
‘मंटो’ एक ऐसे परिवार की कहानी है जो बंटवारे के बाद मुम्बई से पाकिस्तान जाकर बस जाता है। इसकी कहानी मंटो की लघु कहानियों पर आधारित है जिनमें ‘ठंडा गोश्त’ और ‘पेशावर से लाहौर’ प्रमुख है।
सरमद ने कहा कि यह फिल्म लैंगिकता, बंटवारे और राजनीति पर आधारित है और वह उम्मीद करते हैं कि जल्द ही यह फिल्म भारत में रिलीज होगी और दोस्ती के पुल का काम करेगी।