भोपाल– पन्ना में शिवराज मंत्रिमंडल की मंत्राणी कुसुम महदेले ने एक रास्ते पर पलने वाले बच्चे को एक रुपये के लिए लात मारी फिर सारा दोष मीडिया पर डाल उस बच्चे को शराब पिलवा मामले को उल्टा करने की कोशिश की.एक चैनल की हेड को जान से मारने की धमकी दी.अखबारों को और उस वीडियो को झूठा बताया.मुख्यमंत्री भी मंत्राणी से जवाब लेने की और मंत्राणी बात ना होने की दुहाई देते रहे लेकिन उस बच्चे का क्या वह तो स्थिति सामने आने के बाद भी वहीँ रहा जहाँ था.
मप्र में शिवराज सिंह अपने आप को बच्चों का मामा कहते हैं कहाँ गए उनके दावे इस खबर के सामने आने के बाद भी उन्हें उस बच्चे की स्थिति को ठीक करने की सुध नहीं आई.भारी-भरकम बजट और विभागों के होते हुए जिले के लाट साहब को भी यह ध्यान नहीं रहा की उस बालक का इलाज और पुनर्स्थापन कैसे किया जाय.उसके पढने -लिखने की क्या व्यवस्था की जाय .
मीडिया का ध्यान भी इस ज्वलंत मुद्दे पर नहीं गया और राष्ट्र का वह राह-भटका बालक अपनी स्थिति में पुनः जीने के लिए चल पड़ा.आखिर शासन-प्रशासन को क्यों नहीं इसकी सुध?क्या यही सुशासन है.
बच्चों के कल्याण के लिए शासन और अन्य संस्थाएं कार्य करती हैं लेकिन किसी का ध्यान इस बालक पर नहीं गया की इसका समाज में पुनर्स्थापन किया जाय.दरअसल यह शासन की कार्यविधि की पोल खोलता नजर आता है.
इस घटना का दुखद पहलु यह रहा की अपने आप को बच्चों का मामा कहने वाले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का ध्यान भी इस मुद्दे पर नहीं गया.