राष्ट्रीय एकता दौड़ को हरी झंडी दिखाकर डॉ. रमन सिंह स्वयं भी आम जनता के साथ दौड़ में शामिल हुए।
उन्होंने समारोह में सबसे पहले सरदार पटेल के चित्र पर माल्यार्पण कर उन्हें नमन किया। मुख्यमंत्री ने सभी लोगों को राष्ट्रीय एकता की शपथ दिलाई। बड़ी संख्या में उपस्थित नागरिकों और छात्र-छात्राओं ने मुख्यमंत्री के साथ राष्ट्र की एकता, अखंडता और सुरक्षा में भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए उपस्थित लोगों को संकल्प दिलाया।
समारोह का आयोजन राज्य सरकार के खेल और युवा कल्याण विभाग द्वारा तेलीबांधा तालाब के सामने (मैरीन ड्राइव) में किया गया।
राष्ट्रीय एकता दौड़ तेलीबांधा तालाब से होकर मुख्य मार्ग से होते हुए घड़ी चौक तक गई। रायपुर शहर के विभिन्न स्कूलों के बच्चे, नौजवान, बुजुर्ग, महिलाएं, खिलाड़ी, एनसीसी और स्काउटस सहित सभी वर्ग के लोगों और जनप्रतिनिधियों ने उत्साह के साथ दौड़ में हिस्सा लेकर राष्ट्रीय एकता का संदेश दिया।
दौड़ के शुभारंभ कार्यक्रम में गृहमंत्री रामसेवक पैकरा, लोक निर्माण मंत्री राजेश मूणत, खेल एवं युवा कल्याण मंत्री भईयालाल राजवाड़े, विधायक श्रीचंद सुंदरानी, विधायक एवं पाठ्यपुस्तक निगम के अध्यक्ष देवजीभाई पटेल, विधायक नवीन मार्कण्डेय, रायपुर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष संजय श्रीवास्तव, छत्तीसगढ़ राज्य औद्योगिक विकास निगम के अध्यक्ष छगन मूंदड़ा, अपेक्स बैंक के अध्यक्ष अशोक बजाज, प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव विवेक ढांड, खेल और युवा कल्याण विभाग के सचिव दिनेश श्रीवास्तव, सामान्य प्रशासन विभाग के सचिव विकास शील तथा रायपुर संभाग के कमिश्नर अशोक अग्रवाल सहित बड़ी संख्या में विभिन्न खेल संगठनों के पदाधिकारी, विभिन्न संस्थाओं के प्रतिनिधि, स्कूल-कॉलेजों के विद्यार्थी और आम नागरिक उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री रमन सिंह ने कहा कि देश के प्रथम उपप्रधानमंत्री और प्रथम गृहमंत्री सरदार पटेल की जयंती आज पूरे देश में राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाई जा रही है। देशव्यापी आयोजन में छत्तीसगढ़ के लोगों ने भी बढ़-चढ़कर उत्साह और गर्मजोशी के साथ राष्ट्रीय एकता दौड़ में हिस्सा लिया है।
उन्होंने ने कहा कि देश की एकता और किसानों के कल्याण के लिए किए गए लौह पुरुष पटेल को देश कभी भुला नहीं सकता। देश जब आजाद हुआ तो उस समय छह सौ के लगभग रियासतें थीं। ब्रिटिश भारत से अलग इनका अपना स्वतंत्र अस्तित्व था। अंग्रेज लोग ब्रिटिश भारत को तो भारतीयों को सौंप रहे थे, लेकिन इन रियासतों को उनकी मर्जी पर छोड़ दिया। वे या तो स्वतंत्र देश के रूप में रह सकते हैं अथवा भारत अथवा पाकिस्तान में मिल सकते थे।
सिंह ने कहा कि अंग्रेजों के बहकावे में आकर छोटी-छोटी रियासतें अलग देश बनाने का मन बना चुके थे। हैदराबाद के निजाम, जूनागढ़ और भोपाल के नवाब जैसे कई रियासतों ने तो पाकिस्तान की करांची में अपना कार्यालय भी शुरू कर दिए थे। ऐसे हालात में पटेल ने देश की एकता और अखंडता को बचाया और लौह पुरुष कहलाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह देश सदैव सरदार पटेल का ऋणी रहेगा। युगों-युगों तक यह देश उन्हें याद करता रहेगा। भारत देश को और सशक्त तथा सामथ्र्यवान बनाने की जवाबदारी अब हमारे देश के युवाओं के कंधो पर है। उनके सपनों को युवा पीढ़ी साकार करके दिखाएगी।