गुड़गांव 27 अक्टूबर (आईएएनएस) गुड़गांव के निजी अस्पताल के डॉक्टरों ने मलावी देश के क्रिस विलियम नामक तीन वर्षीय बच्चे के विंड पाइप की सफल सर्जरी की है। डॉक्टरों ने ट्राचिओप्लासटी और लार्यनगोट्राशियल को सफल सर्जरी करके ठीक कर दिया। क्रिस मालावी नाम के अफ्रीकन देश का रहने वाला है।
गुड़गांव 27 अक्टूबर (आईएएनएस) गुड़गांव के निजी अस्पताल के डॉक्टरों ने मलावी देश के क्रिस विलियम नामक तीन वर्षीय बच्चे के विंड पाइप की सफल सर्जरी की है। डॉक्टरों ने ट्राचिओप्लासटी और लार्यनगोट्राशियल को सफल सर्जरी करके ठीक कर दिया। क्रिस मालावी नाम के अफ्रीकन देश का रहने वाला है।
आर्टामिस अस्पताल के डॉक्टरों का कहना है कि विलियम को जन्मजात शारीरिक दोष है। उसकी विंड पाइप वॉयस बॉक्स से लेकर फेफड़ों तक सामान्य से छोटी है। जिस कारण उसे बात करने से लेकर सांस लेने तक में कठिनाई होती है। इस अवस्था को ट्राशियल रिंग्स कहा जाता है।
जैसे जैसे बच्चा बड़ा होने लगा विंड पाइप के छोटे होने के कारण समस्या बढ़ती गयी। पिछली सभी सर्जरी के असफल होने के बाद उसे अक्टूबर में यहां भेजा गया।
ईएनटी विभाग के सिनियर डॉक्टर शशीधर और पेडिएट्रिक कार्डिक विभाग के डॉक्टर राजा जोशी ने कहा कि यह बेहद ही कठिन सर्जरी थी। हमने इस सर्जरी के लिए ब्रिटेन और अमेरिकी डॉक्टरों से भी कई बार सलाह ली। आर्टामिस अस्पताल के डॉक्टरों की टीम पहली बार में ही ट्राचिओप्लास्टी और लार्यनगोट्राशियल की सर्जरी करने में सफल रही।
डॉक्टरों ने कहा कि सर्जरी में पूरे ट्राशिया को बनाया गया है। सर्जरी के समय मरीज विंड पाइप से सांस नहीं ले सकता था, इसलिए चार घंटे मरीज को हृदय-फेफड़ा बाईपास मशीन की सहायता से सांस दी गई।
डॉक्टर प्रभात माहेश्वरी ने कहा कि हालांकि मरीज की सर्जरी से पहले हालात बहुत नाजुक थी, लेकिन अब धीरे-धीरे स्थिति में सुधार हो रहा है। अभी मरीज को तीन हफ्ते आईसीयू में रखा जाएगा।
डॉक्टर शशिधर ने इस सर्जरी को ऐतिहासकि बताया। उन्होंने कहा कि ट्राचिओप्लासटी और लार्यनगोट्राचिल की सफल सर्जरी एक बड़ी सफलता है। यह मेडिकल साइंस के विकास में सहायक सिद्ध होगा। इस तरह की सर्जरी आज तक भारत में नहीं हुई है।
सर्जरी में डॉक्टरों ने विंड पाइप ल्यूमेन को दोगुना करने के लिए उसकी लंबाई को आधा कर दिया।
इस सफल सर्जरी से उन हजारों मरीजों को भी आशा मिली है जो सही इलाज के अभाव में विंड पाइप से संबंधित समस्याओं के साथ ही जीवन जीने को मजबूर थे।
एक बेहद ही कम पाई जाने वाली के साथ पैदा हुआ था।