सुबह जगदलपुर स्थित महात्मा गांधी स्कूल से विदाई का सिलसिला शुरू हुआ। 27 अक्टूबर को दंतेवाड़ा के माईजी की डोली की विदाई के साथ पर्व का समापन होगा। बस्तर का दशहरा विश्व में सर्वाधिक दिनों तक चलने वाला दशहरा पर्व है। इस पर्व का शुभारंभ श्रावण मास की हरेली अमावस्या को जगदलपुर स्थित दंतेश्वरी मंदिर के सामने पाट जात्रा के साथ शुरू होता है।
इस वर्ष बस्तर दशहरा की दूसरी महत्वपूर्ण पूजा विधान डेरी गड़ाई 26 सितंबर को संपन्न हुई थी। इसके बाद 12 अक्टूूबर की शाम काछनगादी पूजा, 14 अक्टूबर को जोगी बिठाई और 15-20 अक्टूबर तक रथ परिचालन, 21 अक्टूबर को महाष्टमी की निशाजात्रा, 22 अक्टूृबर को जोगी बिठाई, कुंवारी पूजा ओश्र मावली परघाव की रस्म, 23 को भीतर रैनी और रथ परिचालन और चोरी हुई, दूसरे दिन 24 अक्टूबर को बाहर रैनी पर कुम्हड़ाकोट में विशेष पूजा और शाम को रथ वापसी हुई, 25 को काछन जात्रा और मुरिया दरबार और 26 अक्टूबर को कुटुंब जात्रा के साथ देवी-देवताओं की विदाई का सिलसिला शुरू हो गया।
इसके दूसरे दिन 27 अक्टूबर को दंतेवाड़ा के माईजी की डोली की विदाई के साथ पर्व का समापन होगा।
बस्तर दशहरा आयोजन समिति के सचिव और जगदलपुर के तहसीलदार खेमलाल वर्मा ने बताया कि बस्तर दशहरा के अंतर्गत कुटुंब जात्रा सुबह 11 बजे से शुरू हो गई। स्थानीय गांधी हाईस्कूल मैदान से उक्त जात्रा शुरू हुई। इसमें पूरे सम्मान के साथ विभिन्न क्षेत्रों से आए देवी-देवताओं की विदाई प्रारंभ हो गई है। वहीं कल 27 अक्टूबर को माईजी की डोली विदाई के साथ ही 75 दिनों तक चलने वाले बस्तर दशहरा का समापन होगा।
गौरतलब है कि बस्तर का दशहरा में विश्व का सर्वाधिक लंबे समय तक चलने वाला दशहरा के लिए विख्यात है। यहां दशहरा पर्व 75 दिनों तक चलता है। बस्तरा दशहरा में शामिल होने बड़ी संख्या में विदेशी पर्यटक भी जगदलपुर पहुंचते हैं। बस्तर दशहरा में रावण का वध नहीं किया जाता है। दशहरा 500 सौ वर्षों से अधिक समय से परंपरानुसार मनाया जा रहा है।