देश में इंटरनेट की गति उस तेजी से नहीं बढ़ रही है जिस तरह चीन में बढ़ी लेकिन अब हालात बदल रहे हैं। इंटरनेट एण्ड मोबाइल एसोसिएशन आफ इंडिया (आईएएमएआई) की ताजा रिपोर्ट उन भाषाई समाचार पोर्टलों के लिए उम्मीद की एक किरण लेकर आई है कि भारत के इंटरनेट उपभोक्ता स्थानीय भाषा में न्यूज और व्यूज पढ़ना पसंद कर रहे हैं। 2012 के आंकड़े बताते हैं कि हर तीन में से एक उपभोक्ता अब अपनी भाषा में समाचार विचार को पढ़ना पसंद करता है।
आईएएमएआई का कहना है कि भारत में कुल इंटरनेट उपभोक्ताओं की संख्या 12.2 करोड़ के ऊपर पहुंच गई है। इसमें 4.5 करोड़ इंटरनेट उपभोक्ता ऐसे हैं जो अपनी भाषा में इंटरनेट पर सामग्री खोजते हैं और प्रयोग करते हैं, जो कि कुल उपभोक्ताओं का 37 प्रतिशत है। एसोसिएशन का कहना है इसमें ग्रामीण आबादी का प्रतिशत ज्यादा है। जो लोग इंटरनेट पर अपनी भाषा में सामग्री का चयन कर रहे हैं उसमें 64 प्रतिशत ग्रामीण आबादी है जबकि शहरी आबादी का सिर्फ 20 प्रतिशत इंटरनेट पर भारतीय भाषाओं का प्रयोग करता है।
निश्चित रूप से भारतीय भाषाओं में न्यूज व्यूज का हिस्सा सबसे ज्यादा है। एसोसिएशन का कहना है कि भारत में स्थानीय भाषाओं में समाचार पढ़ने, देखने वालों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है और 2012 में इंटरनेट पर अपनी भाषा का इस्तेमाल करनेवालों में 51 प्रतिशत लोगों ने समाचार का पठन पाठन अपनी भाषा में ही करना ज्यादा पसंद किया। एसोसिएशन का कहना है कि इसके पीछे प्रमुख कारण यह है कि इंटरनेट पर भारत में ईमेल और सर्ज इंजिन के इस्तेमाल के बाद सबसे ज्यादा समाचारों और विचारों के लिए इंटरनेट का इस्तेमाल किया जाता है। क्योंकि इसमें स्थानीय भाषा में अब अच्छी सख्या में सामग्री उपलब्ध है इसलिए भारतीय उपभोक्ता अपनी भाषा में समाचार पढ़ना पसंद कर रहा है।
एसोसिएशन का कहना है कि अभी भारत में आबादी का कुल दसवां हिस्सा ही इंटरनेट इस्तेमाल करता है, इसलिए भारत में इंटरनेट का जिस तरह विस्तार होता जाएगा, भारतीय भाषाओं का प्रभुत्व भी बढ़ता जाएगा। एसोसिएशन का कहना है कि भारत में इंटरनेट का विस्तार करने के लिए जरूरी है कि ज्यादा से ज्यादा भारतीय भाषाओं में सामग्री इंटरनेट पर उपलब्ध करवाई जाए