Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/load.php on line 926

Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/formatting.php on line 4826

Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/formatting.php on line 4826

Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/formatting.php on line 4826
 हार-हार और हार..! आखिर कब थमेगा सिलसिला? (समीक्षा) | dharmpath.com

Wednesday , 27 November 2024

ब्रेकिंग न्यूज़
Home » खेल » हार-हार और हार..! आखिर कब थमेगा सिलसिला? (समीक्षा)

हार-हार और हार..! आखिर कब थमेगा सिलसिला? (समीक्षा)

नई दिल्ली, 26 अक्टूबर (आईएएनएस)। सिक्के की उछाल में मिली मात और भोथरी गेंदबाजी ने सिरीज का फाइनल किस तरह से नशा उखाड़ किया, यह बताने की जरूरत नहीं और यह भी नहीं कि हर किसी का समय होता है मिस्टर धोनी. बाजुओं में जो ताकत आपके थी वह जाती रही और कितने गरीब नजर आए आप बल्ले से, यह भी दर्शकों ने देखा।

नई दिल्ली, 26 अक्टूबर (आईएएनएस)। सिक्के की उछाल में मिली मात और भोथरी गेंदबाजी ने सिरीज का फाइनल किस तरह से नशा उखाड़ किया, यह बताने की जरूरत नहीं और यह भी नहीं कि हर किसी का समय होता है मिस्टर धोनी. बाजुओं में जो ताकत आपके थी वह जाती रही और कितने गरीब नजर आए आप बल्ले से, यह भी दर्शकों ने देखा।

हार, हार और हार यही बदा है देश के भाग्य में शायद। जो सिलसिला आस्ट्रेलिया से शुरू हुआ, वह आज तक थमा नहीं। बांग्लादेश तक ने पानी पिला दिया था तो यह महाबली दक्षिण अफ्रीका है। घर के आंगन में बहुत हुआ कि आपने दो मुकाबले अपने नाम जरूर किए पर अंत किस शान-ए-शौकत से डिविलयर्स के रणबांकुरों ने भारतीय घरती पर पहली बार(एक दिनी सिरीज में पहली बार जीत) किया वह वाकई देखते बना।

खचाखच भरे वानखड़े स्टेडियम पर अपराह्न् में जिस ज्वालामुखी से निकल रहे पिघलते लावे की तरह अफ्रीकियों नें बल्लेबाजी की वह सचमुच ‘भूतो न भविष्यति’ थी। मैने भारतीय गेंदबाजी के जिस तरह यहां चिथड़े उड़ते देखा, वह वाकई कल्पनातीत था।

गेंदबाजों का विश्लेषण आप यदि देखेंगे कि जिसमें भुवनेश्वर जैसे गेंदबाज ने रन लुटाते हुए सैकड़ा पार कर लिया, तो आप अपना सिर धुन लेंगे, शर्म से गड़ जाएंगे। कंगाली मे आटा गीला यह कि अमित मिश्रा जैसों ने शुरू में जो मौके बनाए भी थे डिकॉक और डुप्लेसी के खिलाफ वो मोहित, रैना और रहाणे की फिसलन भरी हथेलियों ने गंवा दिए। भज्जी एकलौते थे जिन्होंने कुछ सम्मान प्राप्त किया पर अंतिम ओवर में गेंद थमा कर धोनी ने उनका भी कबाड़ा कर दिया।

यह भी याद नही पड़ता कि किसी मैच में एक साथ तीन-तीन शतक लगे हों और जब ऐसा हुआ तब आप सहज ही समझ सकते हैं कि मेजबान आक्रमण किस कदर राह से भटका रहा होगा।

सीरीज में अपना तीसरा शतक 57 गेंदों में पूरा करने वाले कप्तान डिवीलियर्स हों या 35 डिग्री सेल्सियस तापमान और बला की उमस के चलते शतक पूरा करने की ललक में विकेट के बीच दौड़ लगाने के दौरान क्रैम्प के शिकार होने के बावजूद ,रिटायर्ड हर्ट होने के पहले तक एक टांग और एक हाथ से भी छक्के चौके लगाने में मशगूल डुप्लेसी रहे या वर्तमान श्रृंखला में दूसरा शतक लगाने वाले क्विंटन डिकाक। इन तीनों ने बल्लेबाजी के अनुकूल विकेट और विद्युतीय आउटफील्ड का अधिकतम दोहन करते हुए जब पूर्ण प्रचंडता का दर्शन कराया तब स्वाभाविक था कि 438 का ऐसा गगनचुंबी स्कोर बनना ही था और अतीत मे शायद ही माही की टीम को अपने घर में 200 से भी ज्यादा के अंतर से हार का सामना करना पड़ा हो। कम से कम मुझे तो याद नहीं.

भारत पहले भी 350 से ज्यादा का टारगेट चेज कर चुका है, पर यह टारगेट लगभग नामुमकिन सा इसलिए था कि वर्तमान में भारत के पास सहवाग, सचिन, सौरव और गंभीर जैसी विस्फोटक बल्लेबाजी पंक्ति नहीं जो रन रेट को बौना बनाते हुए दस ओवर में सौ पार कर लेती. ऐसी शुरूआत ही चमत्कारिक सफलता दिला सकती थी।

वही हुआ भी जो आशंकित था। धोनी के ‘विशेष प्यारे’ बल्लेबाज अजिंक्य रहाणे ( 87 रन 58 गेंद ) ही 150 के स्ट्राइक रेट से जवाब देते हुए कसौटी पर खरे उतर सके और धवन का समय की मांग के मद्देनजर धीमा अर्धशतक जरूर देखने को मिला, लेकिन धोनी के माथा दर्द 29 गेंदो में निकले 27 रनों ने बहुत कुछ संदेश चयनकतार्ओं को भेज दिया है।

अंत में एक बात चलते-चलाते यह जरूर कहना चाहूंगा कि 438 के स्कोर को पीछे छोड़ना कहीं से भी नामुमकिन नहीं था। इतिहास की सबसे सफल चेज के समय कंगारुओं के खिलाफ मेजबान दक्षिण अफ्रीका ने जोहांसबर्ग में ठीक यही स्कोर ही तो बनाया था लेकिन तब उनके पास कद्दावर हर्शेल गिब्स और उसकी नायाब 175 की पारी थी। काश टीम इंडिया के पास भी कोई गिब्स सरीखा खूंटा गाड़ बल्लेबाज होता।

समय आ गया है कि बीसीसीआई जवाबदेही भी उठाए। चयनसमिति सवालों के घेरे मे है कि जो फार्म में नहीं है उनको लगातार ढोने की क्या तुक है। युवा प्रतिभाओं को क्या परखने का यह सही समय नहीं है? मत भूलिये कि 214 रनों की यहां मिली भारी भरकम जीत के साथ एक दिनी सिरीज अपने नाम करने के साथ ही दक्षिण अफ्रीकियों का पांच नवंबर से प्रारंभ हो रही टेस्ट सीरीज के लिए किस कदर हिमालय सरीखा आत्मविश्वास होगा, यह सहज ही समझा जा सकता है।.

हार-हार और हार..! आखिर कब थमेगा सिलसिला? (समीक्षा) Reviewed by on . नई दिल्ली, 26 अक्टूबर (आईएएनएस)। सिक्के की उछाल में मिली मात और भोथरी गेंदबाजी ने सिरीज का फाइनल किस तरह से नशा उखाड़ किया, यह बताने की जरूरत नहीं और यह भी नहीं नई दिल्ली, 26 अक्टूबर (आईएएनएस)। सिक्के की उछाल में मिली मात और भोथरी गेंदबाजी ने सिरीज का फाइनल किस तरह से नशा उखाड़ किया, यह बताने की जरूरत नहीं और यह भी नहीं Rating:
scroll to top