रायपुर, 20 अक्टूबर (आईएएनएस/वीएनएस)। छत्तीसगढ़ की राजधानी से 90 किलोमीटर दूर स्थित गरियाबंद जिले में मां शीतला मंदिर में नवरात्रि के दिनों में महिलाओं को पंचमी के बाद ही प्रवेश दिया जाता है। यह एक ऐसा मंदिर है, जहां हर ज्योत (कलश) को माई ज्योत माना जाता है और हर ज्योत में जंवारा स्थापित किया जाता है।
रायपुर, 20 अक्टूबर (आईएएनएस/वीएनएस)। छत्तीसगढ़ की राजधानी से 90 किलोमीटर दूर स्थित गरियाबंद जिले में मां शीतला मंदिर में नवरात्रि के दिनों में महिलाओं को पंचमी के बाद ही प्रवेश दिया जाता है। यह एक ऐसा मंदिर है, जहां हर ज्योत (कलश) को माई ज्योत माना जाता है और हर ज्योत में जंवारा स्थापित किया जाता है।
इस मंदिर की प्राचीनता के बारे में कुछ पंडित इसे 100 से 150 वर्ष पुराना बताते हैं तो कुछ 900 वर्ष पहले से इस मंदिर की स्थापना बताते हैं।
गरियाबंद जिला वनों से घिरा हुआ है। अपनी अलौकिक छटा और आभा बिखरे हुए गरियाबंद में कई देवी-देवताओं का विराजमान है। विश्व का स्वयंभू एकमात्र प्रकट शिवलिंग भूतेश्वर महादेव भी यहीं स्थित है। वहीं यहां प्राचीनतम शीतला मंदिर में स्थानीय लोगों के साथ ही छग के बाहर के लोग भी ज्योत प्रज्जवलित कराते आ रहे हैं। इस मंदिर में महिलाओं को प्रवेश पंचमी के बाद ही दिया जाता है।
शीतला मंदिर समिति के कार्यकारिणी सदस्य हरिश्चंद्र ध्रुव ने बताया कि इस मंदिर में महिलाओं को पंचमी के बाद ही प्रवेश दिया जाता है। इससे पहले उनका प्रवेश वर्जित होता है।
ध्रुव ने बताया कि मंदिर का नाम कृषक पंचायत शीतला मंदिर है। माताजी के साथ ही साथ यहां अन्य देवी-देवता भी विराजित हैं। उनका कहना है कि यह शीतला मंदिर संभवत: भारत का ऐसा पहला मंदिर होगा, जहां हर ज्योत कलश में जंवारा की स्थापना की जाती है। हर ज्योत को माई ज्योत कहा जाता है।
मंदिर के पुजारी रामभरोसा ठाकुर ने बताया कि मंदिर 100 से 150 सौ पुराना है। इस वर्ष यहां 403 ज्योत कलश प्रज्जवलित किए गए हैं। इसमें भी छग से बाहर कोलकाता, खड़गपुर सहित कई स्थानों से लोगों ने आस्था के ज्योत जलवाए हैं। पंचमी के बाद ही यहां महिलाओं को प्रवेश दिया जाता है।
मावली मंदिर में महिलाओं का प्रवेश वर्जित :
छग के धमतरी जिले से पांच किलोमीटर की दूरी पर ग्राम पुरुर है। यहां आदि शक्ति माता मावली के मंदिर में महिलाओं का प्रवेश वर्जित है। इस मंदिर में बारे में कहा जाता है कि यहां माता के दर्शन मात्र से ही सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि महिलाओं के लिए परिसर में ही एक छोटे मंदिर का निर्माण करवाया गया है, जहां महिलाएं माता के दर्शन कर मनोकामनाएं मांगती हैं।
महिलाएं यहां नमक, मिर्ची, चावल, दाल, साड़ी, चुनरी आदि चढ़ावा चढ़ाती हैं। मंदिर के पुजारी श्यामलाल और शिव ने बताया कि यह मावली माता मंदिर वर्षो पुराना है। यहां के पुजारी (बैगा) ने बताया था कि उन्हें एक बार सपने में भूगर्भ से निकली माता मावली दिखाई दी और माता ने उस बैगा से कहा था कि वह अभी तक कुंवारी हैं, इसलिए मेरे दर्शन के लिए महिलाओं का यहां आना वर्जित रखा जाए, तब से इस मंदिर में सिर्फ पुरुष ही दर्शन के लिए पहुंचते हैं।