नई दिल्ली। स्वीडिश वेबसाइट विकीलीक्स ने 1975 से लेकर 1977 तक की भारतीय राजनीति को लेकर एक बड़ा खुलासा किया है। अमेरिकी केबल के हवाले से उसने दावा किया है कि 1975 में देश में इमरजेंसी लगाए जाने से लेकर 1977 में पहली बार विपक्ष की सरकार बनने तक तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के घर में अमेरिकी जासूस मौजूद था। हालांकि इस खुलासे में यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि आखिर वह जासूस कौन था, वह देसी था या विदेशी।
विकीलीक्स ने केबल के हवाले से कहा है कि 1976 के मध्य से ही अमेरिकी सरकार को यह सूचना मिलने लगी थी कि 1977 में आम चुनाव हो सकते हैं। 26 जून 1975 को इमरजेंसी की घोषणा के एक दिन बाद अमेरिकी दूतावास ने अपनी सरकार को भेजे केबल संदेश में कहा था कि इमरजेंसी के पीछे इंदिरा गांधी के छोटे बेटे संजय गांधी और उनके सचिव आरके धवन की भूमिका थी। केबल में कई जगह इंदिरा गांधी के घर में मौजूद ‘विश्वस्त सूत्र के हवाले से’ उल्लेख किया गया है। संदेश में स्पष्ट कहा गया था कि दोनों की कोई विचारधारा नहीं थी, दोनों तानाशाही स्वभाव के थे और उनका एक ही मकसद था किसी तरह इंदिरा गांधी को सत्ता में बनाए रखना।
अमेरिकी दूतावास ने इमरजेंसी की घोषणा के बाद कम से कम चार ताकतवर कांग्रेसी सांसदों से बातचीत के आधार पर संदेश भेजा था जिसमें इमरजेंसी के समय को लेकर अंतरविरोध था। कुछ का कहना था कि यह दो-तीन महीने और कुछ ने कहा था कि यह ज्यादा से ज्यादा छह महीने तक ही रहेगा। इसी तरह कुछ ने कहा कि साल के अंत तक चुनाव होंगे और कुछ ने कहा कि इंदिरा गांधी सामाजिक और आर्थिक सुधार के साथ 1976 के अंत में चुनाव में जाना चाहती हैं।
विपक्षी नेता चौधरी चरण सिंह की संभावित गिरफ्तारी को लेकर भेजी गई रिपोर्ट में एक बार फिर घरेलू सूत्रों के हवाले से कहा गया था कि इस मुद्दे पर संजय गांधी के विचार क्या थे? दिसंबर 1975 में अमेरिकी सरकार को भेजे गए केबल में संजय गांधी के बढ़ते प्रभाव की विस्तारपूर्वक चर्चा की गई। इसमें कहा गया था कि उनका संगठन पर प्रभाव बढ़ता जा रहा है और पार्टी के बीच एक बड़ा तबका उन्हें अपना नेता मानने लगा है।