अभियोजन के मुताबिक हल्दी थाना क्षेत्र के गरयां-डांगरबाद निवासी वादी मुकदमा जयमंगल मिश्र ने थाने में मुकदमा दर्ज कराया था।
आरोप था कि 17 मई 2005 को उनका पोता कृष्णकांत मिश्र शाम करीब 06 बजे मुन्ना नाई के सैलून पर दाढ़ी बनवाने के लिए गया था। वहां से लौटते समय रास्ते में जगछपरा निवासी आरोपी गणेश यादव व संतोष यादव ने उस पर व्यंग कसा कि तिलकहरू तिलक चढ़ाने जा रहा है। वादी का पोता घर आया और वादी के साथ अपने पिता व चाचा से इस बात को बता रहा था, तभी राकेश मिश्र व जितेंद्र ओझा भी आ गए। इसी बीच सभी आरोपी महाबीर जी का जयकारा लगाते हुए लाठी-डंडा, बंदूक व तमंचा लेकर वादी के दरवाजे पर पहुंच गए।
अरोपियों में गणेश यादव, सत्यनारायण यादव, राजेश गुप्त, संजय कुमार यादव, उमाशंकर यादव, बलिराम यादव, संतोष यादव ने अंधाधुंध फायर शुरू कर दिया। वादी व उसके साथ के लोग भागकर आंगन में जाकर दरवाजा बंद करने लगे। तभी अभियुक्त गणों ने दरवाजा को धक्का देकर खोल दिया।
हमलावरों की फायरिंग से पशुपतिनाथ, अनिल कुमार व कृष्णकांत फायरिंग की जद में आकर घायल हो गए। घटना से मौके पर अफरा-तफरी मच गई। वादी जयमंगल मिश्र व आसपास के लोगों ने सभी घायलों को जिला अस्पताल पहुंचाया, जहां पशुपतिनाथ को चिकित्सकों ने मृत घोषित कर दिया।
घटना की रिपोर्ट दर्ज होने के बाद विवेचना में पुलिस द्वारा 22 आरोपियों का नाम प्रकाश में लाया गया, जिसमें दो आरोपी शिवजी यादव व विजय यादव को फरार दिखाते हुए पुलिस ने 20 के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर दी।
इस मामले की सुनवाई करते हुए अब अदालत ने 20 आरोपियों के खिलाफ दोषसिद्ध पाकर उम्रकैद की सजा से दंडित किया, जिसमें गणेश यादव, सत्यनारायण यादव, राजेश गुप्त, संजय कुमार, उमाशंकर, बलिराम, राजन यादव, योगेंद्र यादव, रामजी गोंड, उमेश, दीनानाथ, मनजी, प्रेमशंकर, हरिशंकर, राजेश, मुन्ना, गुड्डू, सीताराम, हीरा का नाम प्रमुख है, जबकि दौरान संतोष यादव की मौत हो चुकी है।
अभियुक्त सीताराम के पिता की मौत होने के कारण वह सजा के दिन अदालत में उपस्थित नहीं हो सका। इसके खिलाफ सजायफ्ता वारंट जारी कर दिया गया।