इस केस को देख रहे अधिवक्ता जयशंकर कुशवाहा ने बताया कि पूर्व में दो फरवरी को पुष्पेंद्र सिंह का घर से अपहरण किया और फिर हत्या कर शव को भगवंतपुरा रोड किनारे बाइक समेत फेंक दिया गया था। इसका मुकदमा आरोपी सुरेश चंद्र गुप्ता, गब्बर, विक्की, सुरेश साहू, अनिल कुशवाहा के खिलाफ दर्ज कराया गया था।
बाद में पुलिस व अधिकारियों द्वारा हत्या की घटना को दुर्घटना में परिवर्तित करते हुए विवेचना कार्रवाई में लीपापोती की गई। इसके साथ एफआईआर व मृतक पुष्पेंद्र का पोस्टमार्टम कराए बिना पुलिस अधिकारी द्वार हत्या को हादसा करार दे दिया गया था। विवेचना, कार्रवाई, स्वतंत्र निष्पक्ष एवं पारिदर्शिता के साथ न किए जाने पर मृतक के पिता ने पुष्पेंद्र की हत्या के विषय में हाईकोर्ट इलाहाबाद में रिट याचिका दायर की थी।
कोर्ट ने अप्रैल माह में डीजीपी को आदेश जारी कर कहा था कि वह विवेचना अपनी निगरानी में कराएं और दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई सुनिश्चित करें। इस आदेश के क्रियान्वयन को हाई कोर्ट ने चार सप्ताह का समय दिया था, लेकिन किसी अधिकारी व विवेचना अधिकारी ने हाईकोर्ट के आदेशों का अनुपलन नहीं किया।
अधिवक्ता ने बताया कि फिर याचिका दायर की गई, जिसमें कोर्ट ने पुलिस महानिदेशक को आदेशों का अनुपालन दो जुलाई तक सुनिश्चित कराने के निर्देश दिए। वहीं, अरोपियों द्वारा गवाहों पर दबाव बनाया जाने लगा, जिसमें पुलिस का सहयोग रहा है। इस प्रकार हाई कोर्ट के आदेश की अवहेलना की गई। हाईकोर्ट ने स्वीकार किया कि झांसी पुलिस की क्राइम ब्रांच विवेचना नहीं कर रही है।
अधिवक्ता ने बताया कि उच्च न्यायालय ने धारा 147, 302 थाना सदर बाजार झांसी की विवेचना सीबीआई को स्थानांतरण किए जाने के लिए आदेशित किया। वहीं, हाई कोर्ट द्वारा अपने आदेशों के अनुपालन के लिए दो सप्ताह मंे विवेचना से संबंधित अभिलेख निर्गत केस डायरियां सीबीआई को देने के लिए पुलिस अधिकारियों को आदेशित किया गया है।