भोपाल, 27 सितम्बर (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश में पंचायत अधिनियम लागू करने और अपने अधिकारों की मांग को लेकर गांधी जयंती के मौके पर पंचायत पदाधिकारी राजधानी भोपाल में ‘घेरा डालो-डेरा डालो’ आंदोलन करेंगे। इस आंदोलन में जिला पंचायत अध्यक्ष से लेकर सरपंच तक हिस्सा लेंगे, इसमें डेढ़ लाख से ज्यादा प्रतिनिधियों के आने का दावा किया गया है।
भोपाल, 27 सितम्बर (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश में पंचायत अधिनियम लागू करने और अपने अधिकारों की मांग को लेकर गांधी जयंती के मौके पर पंचायत पदाधिकारी राजधानी भोपाल में ‘घेरा डालो-डेरा डालो’ आंदोलन करेंगे। इस आंदोलन में जिला पंचायत अध्यक्ष से लेकर सरपंच तक हिस्सा लेंगे, इसमें डेढ़ लाख से ज्यादा प्रतिनिधियों के आने का दावा किया गया है।
भोपाल में रविवार को पंचायत पदाधिकारियों की बैठक हुई। बैठक के बाद रतलाम जिला पंचायत के उपाध्यक्ष डी. पी. धाकड़ ने रविवार को आईएएनएस को बताया कि देश में मध्य प्रदेश ही एकमात्र ऐसा राज्य है, जहां पंचायत अधिनियम 1993-94 का पालन नहीं हो रहा है। इस अधिनियम के मुताबिक केंद्र और राज्य सरकारों के बाद पंचायत की सरकार का प्रावधान है, मगर मध्य प्रदेश में पंचायत पदाधिकारियों की कोई हैसियत नहीं है। नौकरशाहों ने पंचायतों को महत्वहीन कर दिया है।
धाकड़ ने बताया कि वर्ष 2003 से पहले प्रदेश में जिला सरकार हुआ करती थी, जो ग्रामीण इलाकों के फैसले लिया करती थी। इतना ही नहीं जिला पंचायत के अध्यक्ष को राज्य मंत्री का दर्जा था, मगर अब ऐसा नहीं है। पंचायत की स्वायत्तता को अफसरों ने खत्म कर दिया है।
उन्होंने बताया कि अधिनियम अमल और पंचायतों की स्वायत्तता की मांग को लेकर पंचायत प्रतिनिधियों ने गांधी जयंती पर राजधानी भोपाल में घेरा डाला-डेरा डालो आंदोलन करने का फैसला लिया है। इस आंदोलन में डेढ़ लाख से ज्यादा पंचायत प्रतिनिधि पहुंचेंगे।
पंचायत प्रतिनिधियों की मांग है कि जिला पंचायत और जनपद पंचायत के अध्यक्ष को सांसद व विधायक की तरह वेतन व पेंशन हो, पंच को प्रति बैठक 500 रुपये दिए जाएं, जिला पंचायत अध्यक्ष को प्रोटोकॉल में महापौर से ऊपर रखा जाए।