लंदन, 22 सितम्बर (आईएएनएस)। ब्रिटेन के बर्मिघम विश्वविद्यालय में अगले महीने कुरान की प्राचीनतम पांडुलिपियों में से एक प्रदर्शित की जाएगी।
रेडियोकार्बन पद्धति के आधार पर इस पांडुलिपि को 568 ईस्वी से 645 ईस्वी के बीच का माना जा रहा है और पांडुलिपि का 95.4 फीसदी हिस्सा सही सलामत है।
विश्वविद्यालय के एजबेस्टन स्थित परिसर में ब्रामाल म्यूजिक बिल्डिंग में दो से 25 अक्टूबर के बीच पांडुलिपि प्रदर्शनी के लिए रखी जाएगी।
दो चर्मपत्रों पर अरबी की प्रारंभिक लिपि ‘हिजाजी’ में रोशनाई से अंकित इस पांडुलिपि में कुरान के 18वें और 20वें सूरा (अध्याय) के हिस्से शामिल हैं।
कई वर्षो से कुरान की यह पांडुलिपि सातवीं सदी की एक अन्य पांडुलिपि के पत्रों में गलत तरीके से लपेट कर रखी हुई थी।
यह पांडुलिपि बर्मिघम विश्वविद्यालय के ‘मिंगाना कलेक्शन ऑफ मिडिल ईस्ट मैन्यूस्क्रिप्ट्स’ का हिस्सा है और कैडबरी रिसर्च लाइब्रेरी में रखा हुआ था।
ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय किए गए कार्बन डेटिंग के आधार पर पांडुलिपि के पत्र पैगंबर मुहम्मद के काल के हैं। पैगंबर मुहम्मद का काल 570 ईस्वी से 632 ईस्वी के बीच माना जाता है।
बर्मिघम विश्वविद्यालय के निदेशक (विशेष संग्रह) सुसान वोराली ने कहा, “रेडियोकार्बन डेटिंग के जरिए मिले नतीजे बेहद रोमांचित करने वाले हैं और हमें पूरी दुनिया से उत्साहजनक प्रतिक्रिया मिली है।”
वोराली ने कहा, “यह पांडुलिपि वैश्विक संपदा है और हमें आशा है कि लोगों को इस बेहद अहम दस्तावेज को देखकर अच्छा लगेगा।”