नई दिल्ली, 22 सितम्बर (आईएएनएस)। दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) द्वारा अंडर-16 टीम के खिलाड़ियों की उम्र का पता करने के लिए अपनाई गई टैनर व्हाइटहाउस-3 (टीडब्ल्यू-3) प्रणाली के संबंध में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया।
मुख्य न्यायाधीश जी. रोहिणी की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने दिसंबर, 2013 में एकल पीठ द्वारा दिए गए आदेश को निलंबित कर दिया, जिसमें बीसीसीआई को खिलाड़ियों द्वारा जमा किए गए उम्र प्रमाण-पत्र या अन्य दस्तावेजों के आधार पर उम्र निर्धारित करने का निर्देश दिया था।
बीसीसीआई ने सितंबर, 2012 के बाद से खिलाड़ियों की उम्र का पता लगाने के लिए पहले से चले आ रहे ग्रूलिच पाइल विधि की जगह टीडब्ल्यू-3 विधि अपना ली, क्योंकि ग्रूलिच पाइल विधि की सटीकता छह महीने कम या ज्यादा थी, जबकि टीडब्ल्यू-3 विधि की सटीकता दो महीने कम या ज्यादा है।
खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा, “हमारा भी यही मानना है कि बीसीसीआई के पास यह जानने का कोई तरीका नहीं हो सकता कि देशभर से आने वाले खिलाड़ियों द्वारा जमा किए जाने वाले दस्तावेज सही हैं या नहीं।”
न्यायालय ने आगे कहा, “निस्संदेह तौर पर बीसीसीआई द्वारा अपनाई गई बोन एज टेस्ट प्रणाली खिलाड़ियों के बीच भेदभाव खत्म करने के लिए और आयु के आधार पर होने वाली प्रतियोगिताओं में स्तर बनाए रखने के लिए अपनाई गई है।”
अदालत का यह आदेश 2013 में दो युवा खिलाड़ियों यश सहरावत और आर्यन सहरावत द्वारा दाखिल याचिका पर आया है। दोनों खिलाड़ियों ने अपनी याचिका में दावा किया था कि बोर्ड ने अंडर-16 टूर्नामेंट में उन्हें अधिक उम्र का कहकर शामिल करने से इनकार कर दिया था।