नई दिल्ली , 22 सितम्बर (आईएएनएस)। हरियाणा में पंचायत चुनाव की प्रक्रिया फिलहाल स्थगित हो गई है। राज्य सरकार ने मंगलवार को सर्वोच्च न्यायालय से यह तय करने का आग्रह किया कि चुनाव लड़ने के इच्छुक उम्मीदवारों की योग्यता मानदंडों में शैक्षणिक योग्यता शामिल होनी चाहिए या नहीं।
महान्यायवादी मुकुल रोहतगी ने सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति जे. चेलमेश्वर और न्यायमूर्ति अभय मनोहर सप्रे की पीठ को बताया कि हरियाणा सरकार इस मुद्दे पर न्यायालय के निर्णय को प्राथमिकता देगी।
अदालत ने इस मामले की अगली सुनवाई के लिए सात अक्टूबर की तिथि निर्धारित की है। न्यायालय उस दिन दो याचिकाओं पर सुनवाई शुरू करेगी, जिसमें हरियाणा पंचायती राज अधिनियम में संशोधन कर उम्मीदवार के योग्यता मानदंड बढ़ाते हुए शैक्षणिक योग्यता को भी इसमें शामिल करने को चुनौती दी गई है।
निर्वाचन आयोग ने भी न्यायालय को बताया कि वह आठ सितम्बर को जारी अधिसूचना के आधार पर चुनावी प्रक्रिया को आगे नहीं बढ़ा सकता। उसने हरियाणा सरकार से इस मुद्दे का समाधान होने पर नई अधिसूचना जारी करने पर सहमति जताई।
हरियाणा विधानसभा ने सात सितंबर को न्यूनतम शैक्षिक योग्यता को पंचायत चुनाव में उम्मीदवारों के लिए अनिवार्य बनाने के लिए एक विधेयक पारित किया और उसमें उम्मीदवारों के घर में शौचालय होना भी अनिवार्य बनाया गया है।
आठ सितंबर को राज्य निर्वाचन आयोग ने पंचायत सदस्यों, पंचायत समितियों और जिला परिषदों के लगभग 72,000 पदों सहित त्रिस्तरीय पंचायती राज संस्थाओं के लिए तीन चरण के चुनाव की घोषणा की। चुनाव चार, 11 और 18 अक्टूबर को आयोजित किए जाने थे।
राज्य निर्वाचन आयुक्त राजीव शर्मा ने घोषणा की थी, “चुनाव 20 जिला परिषदों के 393 सदस्य पदों, 123 पंचायत समितियों के 2932 सदस्य पदों और सरपंचों और पंचों के क्रमश: 6,197 और 62,471 पदों पर चुनाव आयोजित किए जाएंगे।”
संशोधित योग्यता मापदंडों के अनुसार, उम्मीदवार को कम से कम कक्षा 10वीं पास होना चाहिए। अनुसूचित जातियों और महिला उम्मीदवारों के लिए न्यूनतम शैक्षिक योग्यता कक्षा आठ पास रखा गया है। जबकि अनुसूचित जाति की महिला उम्मीदवारों के लिए न्यूनतम शैक्षिक योग्यता पांचवी पास रखा गया है।
राज्य विधानसभा में विधेयक पारित होने से पहले हरियाणा की भाजपा सरकार ने शैक्षिक और अन्य योग्यताओं के बारे में अगस्त में एक अध्यादेश जारी किया था। पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने एक याचिका पर अध्यादेश पर रोक लगा दी थी।