मुंबई, 16 सितम्बर (आईएएनएस)। अमेरिका के फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दर बढ़ाने या न बढ़ाने का फैसला न सिर्फ भारतीय शेयर बाजारों के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि इससे दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का कारोबारी मनोबल भी तय होगा।
मुंबई, 16 सितम्बर (आईएएनएस)। अमेरिका के फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दर बढ़ाने या न बढ़ाने का फैसला न सिर्फ भारतीय शेयर बाजारों के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि इससे दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का कारोबारी मनोबल भी तय होगा।
जायफिन एडवाइजर्स के मुख्य कार्यकारी अधिकारी देवेंद्र नेवगी ने कहा, “यदि फेडरल ओपेन मार्केट कमेटी (एफओएमसी) दर नहीं बढ़ाने का फैसला करती है, तो हमारी अपनी नीतिगत दर में कटौती की उम्मीद में बाजार में कुछ समय के लिए तेजी आ सकती है। अनिश्चितता हालांकि कायम रहेगी।”
अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व की नीति निर्मात्री समिति गुरुवार को मौद्रिक नीति की घोषणा करेगी।
इधर देश में भारतीय रिजर्व बैंक भी 29 सितंबर को मौद्रिक नीति समीक्षा घोषणा करेगा।
फेड द्वारा दर बढ़ाने से भारत सहित सभी उभरते बाजारों में विदेशी निवेशक बड़े स्तर पर बिकवाली करेंगे। डॉलर दुनिया की कई अन्य प्रमुख मुद्राओं, सोना तथा अन्य संपत्तियों के मुकाबले मजबूत होगा।
फेड की दर बढ़ने से भारतीय कंपनियों के लिए अमेरिका से लिया जाने वाला ऋण भी महंगा होगा, जिससे उनका मार्जिन प्रभावित होगा। विदेशी निवेशकों ने अगस्त से अब तक भारतीय शेयर बाजारों में करीब तीन अरब डॉलर की बिकवाली की है।
हेम सिक्युरिटीज के निदेशक गौरव जैन ने कहा, “(फेड की दर बढ़ने से) बाजार में तत्काल गिरावट आएगी।”
रुपये में भी गिरावट आ सकती है, लेकिन इसे संभालने के लिए रिजर्व बैंक हस्तक्षेप कर सकता है।
विश्लेषकों के मुताबिक, फेड की दर बढ़ने से हालांकि अमेरिकी अर्थव्यवस्था की मजबूती का भी पता चलेगा।
एंजल ब्रोकिंग के शोध उपाध्यक्ष वैभव अग्रवाल ने आईएएनएस से कहा, “दर वृद्धि से पता चलेगा कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था में मजबूती जारी है, जो एक सकारात्मक संकेत है। इसलिए निवेशकों को हर गिरावट में लंबी अवधि के लिए निवेश करना चाहिए।”
यूरोप और चीन की आर्थिक सुस्ती को देखते हुए अमेरिकी अर्थव्यवस्था में तेजी महत्वपूर्ण है।