भारत सरकार के केन्द्रीय सांख्यकीय संगठन द्वारा वर्ष 2012-13 के लिये जारी राज्यों के विकास के अनुमान के अनुसार मध्यप्रदेश विकास दर के मामले में देश के बड़े राज्यों में सबसे आगे है। वर्ष 2012-13 में मध्यप्रदेश की कृषि विकास दर 14.28 प्रतिशत और आर्थिक विकास 10.02 होगी। आर्थिक जानकारों के अनुसार यह एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। आमतौर पर जिस वर्ष विकास दर असाधारण रूप से अधिक होती है उसके अगले वर्ष यह काफी कम हो जाती है। इस नियम को झूठलाते हुए मध्यप्रदेश की कृषि और आर्थिक विकास दर बहुत अच्छी है। एक प्रकार से दो वर्ष में कृषि की विकास दर में एक तिहाई की वृद्धि हुई है।
पिछले साल 2011-12 में बिहार की विकास की दर सबसे ज्यादा 13.26 प्रतिशत और मध्यप्रदेश की विकास दर 11.81 थी। वर्ष 2012-13 के अनुमान के आधार पर मध्यप्रदेश में बिहार को पीछे छोड़ दिया है क्योंकि बिहार की विकास दर 9.48 प्रतिशत ही है।
प्रति व्यक्ति आय के मामले में मध्यप्रदेश में लगातार वृद्धि हो रही है। यह इस तथ्य के बावजूद है कि प्रदेश में एक तिहाई आबादी अनुसूचित जाति और जनजाति की है। राज्य में वर्ष 2012-13 में प्रति व्यक्ति आय में 8.69 प्रतिशत की वृद्धि अनुमानित है।
उल्लेखनीय है कि मध्यप्रदेश में विकास के लिए किये गये लगातार प्रतिबद्ध प्रयासों के चलते बीते सात वर्ष में विकास के हर क्षेत्र में जबर्दस्त उपलब्धियाँ हासिल हुई हैं। इस अवधि में प्रदेश का सकल राज्य घरेलू उत्पाद 96 प्रतिशत बढ़ा है, जबकि प्रचलित दरों पर प्रति व्यक्ति आय में लगभग 284 प्रतिशत बढ़ोत्तरी हुई है। सबसे बड़ी बात यह है कि कृषि, उद्योग और सेवा, विकास के इन तीनों क्षेत्र में प्रदेश तेजी से आगे बढ़ा है।
स्थिर भावों पर मध्यप्रदेश का सकल घरेलू उत्पाद आधार वर्ष 2004-05 में एक लाख 11 हजार 926 करोड़ 89 लाख रुपये था। मध्यप्रदेश आर्थिक एवं सांख्यिकी विभाग के अग्रिम अनुमानों के अनुसार वर्ष 2012-13 में यह बढ़कर 2 लाख 21 हजार 46 करोड़ 86 लाख रुपये हो गया है।
स्थिर भावों पर शुद्ध राज्य घरेलू उत्पाद आधार वर्ष 2004-05 में 99 हजार 940 करोड़ एक लाख था, जो वर्ष 2012-13 (अग्रिम) में एक लाख 96 हजार 253 करोड़ 48 लाख रुपये हो गया। यह वृद्धि भी 96.37 प्रतिशत है।
वर्ष 2004-05 से कृषि, उद्योग तथा सेवा, तीनों क्षेत्र में शानदार सफलता अर्जित की गयी है। मध्यप्रदेश में आलोच्य अवधि में कृषि क्षेत्र और कृषि उत्पादन में बड़ी वृद्धि हुई है। वर्ष 2004-05 में कुल एक करोड़ 97 लाख 19 हजार 497 हेक्टेयर भूमि कृषि के अंतर्गत थी। यह क्षेत्र वर्ष 2011-12 में बढ़कर 2 करोड़ 21 लाख 65 हजार 760 हो गया। इसी प्रकार, प्रदेश में कृषि उत्पादन वर्ष 2004-05 में 2 करोड़ 49 लाख 39 हजार 689 मीट्रिक टन था, जो वर्ष 2011-12 में बढ़कर 3 करोड़ 2 लाख मीट्रिक टन हो गया।
कृषि उत्पादन में इस अभूतपूर्व वृद्धि में सिंचाई साधनों में तेजी से विस्तार ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वर्ष 2004-05 में जहाँ सिर्फ 7 लाख हेक्टेयर में सिंचाई होती थी, वहीं वर्ष 2011-12 में 24 लाख हेक्टेयर में सिंचाई सुविधा उपलब्ध करवायी गयी। गेहूँ, धान, सोयाबीन, चना और सरसों आदि प्रमुख फसलों के उत्पादन और उत्पादकता में विशेष वृद्धि हुई। गेहूँ उत्पादन में मध्यप्रदेश ने कीर्तिमान बनाया है। इस साल इसके पहले नम्बर पर आ जाने की पूरी संभावना है। प्रदेश में वर्ष 2011-12 में 127 लाख मीट्रिक टन गेहूँ का उत्पादन हुआ।
प्रदेश में कृषि विकास दर वर्ष 2004-05 में 7.98 प्रतिशत थी। यह वर्ष 2011-12 में बढ़कर 18.91 प्रतिशत हो गयी, जो देश में सबसे अधिक है। विकास के प्राथमिक क्षेत्र (कृषि, पशुपालन, वानिकी, मछली उत्पादन) में स्थिर मूल्य पर सकल राज्य घरेलू उत्पाद 31 हजार 238 करोड़ 30 लाख था। यह वर्ष 2012-13 (अग्रिम) में बढ़कर 53 हजार 503 करोड़ 43 लाख रुपये हो गया।
द्वितीयक क्षेत्र में खनिज उत्पादन, उद्योग, विनिर्माण, विद्युत, गैस और जल आपूर्ति आते हैं। इस क्षेत्र में वर्ष 2004-05 में सकल घरेलू उत्पाद 30 हजार 658 करोड़ 8 लाख रुपये था। यह वर्ष 2012-13 (अग्रिम) में बढ़कर 61 हजार 185 करोड़ 30 लाख रुपये हो गया। इसमें खनिज उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई। प्रदेश में वर्ष 2004-05 में समस्त खनिज उत्पादन 4 हजार 783 करोड़ 71 लाख रुपये था। यह वर्ष 2011 में बढ़कर 10 हजार 659 करोड़ 43 लाख रुपये हो गया। यह वृद्धि 223 प्रतिशत है।
इसी तरह, तृतीयक क्षेत्र में परिवहन, भण्डारण, संचार, व्यापार, होटल और रेस्टोरेन्ट, बैंकिंग तथा बीमा, रियल स्टेट तथा अन्य सेवाएँ आती हैं। इस क्षेत्र में वर्ष 2004-05 में सकल राज्य घरेलू उत्पाद 51 हजार 30 करोड़ 51 लाख रुपये था। वर्ष 2012-13 (अग्रिम) में यह बढ़कर एक लाख 6 हजार 114 करोड़ 13 लाख रुपये हो गया। यह वृद्धि दो गुना से अधिक है।