देहरादून। जब उद्धव ने गोपियों को निराकार ब्रह्म के चरणों में मन को समर्पित करने का उपदेश दिया तो गोपियां बोली, हे उद्धव हमारे पास तो एक ही मन था, वह हमने श्रीकृष्ण को समर्पित कर दिया। हम ब्रहम को समर्पित करने के लिए मन कहां से लाएं।
यह उद्गार आचार्य शिव प्रसाद ममगाई ने नेशविला रोड डोभालवाला में चल रही श्रीमद् भागवत सप्ताह में कथा प्रवचन करते हुए व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि उद्धव ने अपने ज्ञान का पूर्ण उपयोग कर बार-बार गोपियों को ज्ञानोपदेश देने का प्रयत्न किया, लेकिन गोपिकाओं के मन के समर्पण के सामने उद्धव की एक न चली। अंत में उन्होंने स्वयं को ही गोपिकाओं के समक्ष समर्पित कर दिया। यही वजह है कि आज भी ब्रज के कण-कण में श्रीकृष्ण व गोपिकाओं के चरणों की चाप सुनाई देती है।
आचार्य ममगाई ने कहा कि समर्पण की परिभाषा गोपियों के जीवन से अधिक और कहां परिलक्षित हो सकती है। उन्होंने अपना मन बिना किसी स्वार्थ के भगवान कृष्ण को समर्पित कर दिया था। वह कहते हैं कि यही मन हमें भौतिक जगत में राजा बनाने में समर्थ है और यही हमें भीरू व रंक भी बना सकता है। इस मौके पर चित्रा नैथानी, विनोद नैथानी, अनीता चमोली, मनोरमा बुड़ाकोटी, पद्मेंद्र ढौंडियाल, शिवचरण नेगी, धीरेंद्र बहुगुणा आदि मौजूद रहे।