इस साल ‘मांस्टर हंट’ और ‘मंकी किंग : हीरो इज बैक’ जैसी फिल्मों ने चीन सहित विश्वभर में रिकॉर्डतोड़ कमाई की और दिलचस्प बात यह है कि इन फिल्मों के निर्देशक या तो सिनेमा जगत में नए हैं या फिर नामचीन निर्देशकों की तुलना में लोकप्रिय नहीं हैं।
एक्शन से भरपूर एनिमेटिड फिल्म ‘मांस्टर हंट’ चीन की अब तक की रिकॉर्ड कमाई करने वाली फिल्म है। फिल्म के 16 जुलाई को रिलीज होने से लेकर 23 अगस्त 2015 तक ‘मांस्टर हंट’ की कुल बॉक्स ऑफिस कमाई 2.3 अरब युआन (लगभग 36.2 करोड़ डॉलर) रही है।
कमाई के मामले में इसने अपनी सभी प्रतिस्पर्धी फिल्मों को पीछे छोड़ दिया। उदाहरण के लिए जॉन वू के निर्देशन में बनी ‘द क्रॉसिंग पार्ट2’ ने रिलीज होने के बाद दस दिनों में पांच करोड़ युआन से अधिक की कमाई की, जबकि इसी अवधि में ‘मांस्टर हंट’ ने लगभग 1.3 अरब युआन की कमाई कर सबको हैरान कर दिया।
गौर करने वाली बात यह है कि चीनी सिनेमा जगत में जॉन वू एक बड़ा नाम है। जॉन वू की तरह चेन केग भी चीन सिनेमा जगत में एक लोकप्रिय नाम है। चेन केग की फिल्म ‘मोंक कम्स डाउन द माउंटेन’ भी दर्शकों को लुभाने में असफल रही। इस फिल्म ने रिलीज होने के बीस दिनों के भीतर सिर्फ 40 करोड़ युआन की ही कमाई की।
एक नौसिखिए निर्देशक के निर्देशन में बनी एनिमेटिड फिल्म ‘मंकी किंग : हीरो इज बैक’ ने दस जुलाई को रिलीज होने के एक महीने के भीतर ही लगभग 90 करोड़ युआन की कमाई की। यह फिल्म ‘जर्नी टू द वेस्ट’ का 3डी एनिमेशन रूपांतरण है। एक और जहां, ‘जर्नी टू द वेस्ट’ बॉक्स ऑफिस पर औंधे मुंह गिरकर चीन में इतिहास की सर्वाधिक असफल एनीमेशन फिल्म रही थी, जबकि ‘मंकी किंग : हीरो इज बैक’ ने सफलता के झंडे गाड़ दिए।
चीन फिल्म संघ के सचिव राव शुंगवांग का कहना है कि चीन में अपेक्षाकृत कम लोकप्रिय निर्देशकों ने यह सफलता किस्मत के भरोसे नहीं हासिल की है। यह सिनेमा जगत में एक बदलाव का संकेत है। यह बदलाव आंशिक रूप से बड़े शहरों से लेकर छोटे शहरों और कस्बों में थिएटरों की संख्या पर भी निर्भर है। क्योंकि इन स्थानों पर रहने वाले लोग आमतौर पर फेंग और चेन जैसे बड़े निर्देशकों की फिल्में देखकर बड़े नहीं हुए हैं।
छोटे कस्बों के दर्शक स्वयं को बड़े निर्देशकों के साथ एक अपनापन महसूस नहीं करते क्योंकि उन्हें मुश्किल से ही इन नामचीन निर्देशकों की फिल्मों की प्रचार गतिविधियों में जाने और लोकप्रिय अभिनेताओं और अभिनेत्रियों के साथ हाथ मिलाने का मौका मिलता है।
राव का मानना है कि बड़े और नामचीन निर्देशक युवा दर्शकों की कसौटी पर खरा उतरने में असफल रहे हैं क्योंकि इंटरनेट के साए में बड़े हुए युवा वास्तव में इन प्रसिद्ध निर्देशकों के प्रशंसक नहीं हैं।
फिल्म आलोचक और पेकिंग विश्वविद्यालय के प्रोफेसर झांग यीवू इस बात से सहमत हैं और कहते हैं कि निर्देशकों की युवा पीढ़ी की सफलता की वजह यह भी है कि इनकी फिल्में युवा दर्शकों की पसंद के अनुरूप हैं, क्योंकि आज का युवा वास्तविक कहानियों पर आधारित फिल्मों और विशेष रूप से हास्य प्रधान फिल्मों को पसंद करता है। चीन के फिल्म उद्योग जगत में यह पीढ़ीगत बदलाव पूरा हो गया है। समय में बदलाव से अर्थ है कि नए निर्देशकों और कलाकारों को अधिक अवसर मिल रहे हैं।