शिकायतकर्ता समाजसेविका एवं ऐश्वर्याज सेवा संस्थान की सचिव उर्वशी शर्मा ने बताया कि उन्होंने पूरे मामले की जांच की मांग करते हुए लोकायुक्त को बताया कि है कि आरटीआई और अन्य स्रोतों से उनके हाथ ऐसे पुख्ता सबूत लगे हैं, जो यह सिद्ध कर रहे हैं कि सुनील कुमार कुछ मामलों में एक लोकसेवक के रूप में अपने कृत्यों का निर्वहन करने में व्यक्तिगत हित अथवा अनुचित या भ्रष्ट उद्देश्य से प्रेरित थे।
उर्वशी ने लोकायुक्त से मांग की है कि सुनील कुमार के अलावा उत्तर प्रदेश शासन के तत्कालीन उपसचिव (समाज कल्याण) राज कुमार त्रिवेदी, उप सचिव समाज कल्याण आर.डी. कल्याण, तत्कालीन विशेष सचिव अनुश्रवण प्रकोष्ठ (न्याय विभाग), उत्तर प्रदेश समाज कल्याण निदेशक के साथ-साथ राजकीय गोविंद बल्लभ पंत पॉलीटेक्निक (लखनऊ) के प्रधानाचार्य को समन करके इस शिकायत में उठाए गए भ्रष्टाचार के मामलों में इन सब की भूमिका भी जांची जाए।
सुनील कुमार पर पहला आरोप यह है कि उन्होंने सचिवालय के अन्य कार्मिकों के साथ मिल अपने पदीय अधिकारों का दुरुपयोग करते हुए प्रदेश सरकार के साथ छल किया। उन्होंने उच्च न्यायालय, उच्चतम न्यायालय के आदेशों समेत कई कानूनी व प्रशासनिक आदेशों व तथ्यों को छुपाकर कूटरचना द्वारा एक मिथ्या दस्तावेज बनाकर एक अपात्र व्यक्ति को द्वितीय श्रेणी के राजपत्रित पद पर विनियमित कर उसे नियमित नियुक्ति प्रदान की है।
दूसरे आरोप के तहत उर्वशी ने कहा है कि प्रमुख सचिव ने समाज कल्याण विभाग में अवैध रूप से कार्यरत कार्मिकों को नियम प्रतिकूल प्रश्रय दे रखा है और यह भी कि उनके द्वारा विभाग में सप्रमाण शिकायतें करने के बाबजूद विभाग द्वारा इन अवैध नियुक्तियों को समाप्त करने के लिए कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है।
उर्वशी ने यह भी आरोप लगाया है कि सुनील कुमार ने विभाग के अनुसूचित जाति के छात्रों के मेस घोटाले के आरोपियों से दुराभिसंधि स्थापित करके उनको खुला संरक्षण दे रखा है और इसी बजह से शासन द्वारा इन घोटालेबाजों के भ्रष्टाचार की जांच नहीं कराई जा रही है।
तीसरे आरोप के तहत उर्वशी का कहना है कि प्रमुख सचिव ने एक जालसाज व्यक्ति को विभाग की 265 औधोगिक एवं प्राविधिक संस्थाओं का सचिव नियुक्त करने के लिए 4 अगस्त, 2015 को समानता के संवैधानिक सिद्धांत को खूंटी पर टांग दिया और इस जालसाज को लाभ पंहुचाने के लिए निहायत ही शातिराना ढंग से एक 5 सदस्यीय परीक्षा बोर्ड का गठन किया।
17 पृष्ठों के अपने अभिकथन शिकायत के समर्थन में उर्वशी ने 32 संलग्नकों के 49 पेज भी सबूतों के तौर पर लोकायुक्त को सौंपे हैं। उर्वशी ने लोकायुक्त से इस मामले की जांच करके लोकसेवक सुनील कुमार के विरुद्ध कार्यवाही की संस्तुति करने एवं सुनील कुमार द्वारा भ्रष्टाचार करके विधिविरुद्ध किए गए आदेशों को रद्द करने की मांग की है।