नई दिल्ली, 31 अगस्त (आईएएनएस)। पूर्व कोयला सचिव एच.सी.गुप्ता ने सोमवार को विशेष अदालत को बताया कि कमल स्पॉन्ज स्टील एंड पावर लिमिटेड (केएसएसपीएल) को कोयला ब्लॉक के आवंटन पर अंतिम मुहर तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने लगाई थी।
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने गुप्ता की बात को गलत बताया। एजेंसी ने विशेष न्यायमूर्ति भरत पाराशर को बताया कि मनमोहन सिंह को अंधेरे में रखा गया था और यह गुप्ता थे जिन्होंने प्रधानमंत्री कार्यालय के अधिकारियों को गुमराह किया था।
गुप्ता ने अपने वकील बी.एस.माथुर के जरिए कहा कि प्राकृतिक संसाधन पर उनका कोई इख्तियार नहीं था। मनमोहन सिंह उस वक्त कोयला मंत्रालय संभाल रहे थे और उन्होंने ही आवंटन पर अंतिम निर्णय लिया था।
अदालत ने मध्य प्रदेश में केएसएसपीएल को एक कोयला खदान आवंटन में घपलेबाजी के सिलसिले में आरोप निर्धारण की सुनवाई के दौरान यह तर्क-वितर्क सुने।
अदालत ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 16 सितंबर की तारीख तय की है। अदालत ने कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो आरोपी और सीबीआई दोनों से और स्पष्टीकरण मांगे जा सकते हैं।
गुप्ता के अलावा मध्य प्रदेश स्थित कंपनी कमल स्पॉन्ज के निदेशक पवन अहलूवालिया और वरिष्ठ अधिकारी अमित गोयल इस मामले में मुकदमे का सामना कर रहे हैं।
अदालत इससे पहले इस मामले में सीबीआई की क्लोजर रपट को खारिज कर चुकी है।
सीबीआई ने प्राथमिकी दर्ज कराई थी कि कंपनी और कुछ अन्य ने तथ्यों को गलत तरीके से पेश कर कोयला ब्लॉक पाने की कोशिश की थी।
बाद में सीबीआई ने मामले को बंद करने की रपट दी। उसने कहा कि कंपनी और इसके निदेशक के खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं हैं। लेकिन, कोर्ट ने इस रपट को खारिज कर दिया था।