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 इंद्राणी की जीवन कथा से असमी महिलाएं सदमे में | dharmpath.com

Saturday , 23 November 2024

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इंद्राणी की जीवन कथा से असमी महिलाएं सदमे में

गुवाहाटी/नई दिल्ली, 30 अगस्त (आईएएनएस)। सामाजिक मूल्यों और पारिवारिक रिश्तों के ताने-बाने में गुथे समाज के लिए, खासतौर से असमी महिलाओं में, इंद्राणी मुखर्जी, उर्फ परी बोरा की जीवन गाथा भय और सदमे का पर्याय बन गई है।

गुवाहाटी/नई दिल्ली, 30 अगस्त (आईएएनएस)। सामाजिक मूल्यों और पारिवारिक रिश्तों के ताने-बाने में गुथे समाज के लिए, खासतौर से असमी महिलाओं में, इंद्राणी मुखर्जी, उर्फ परी बोरा की जीवन गाथा भय और सदमे का पर्याय बन गई है।

जानी-मानी कलाकार और सामाजिक कार्यकर्ता अकाशितोरा ने गुवाहाटी से फोन पर आईएएनएस से कहा, “यह अत्यंत डरावना है।”

उन्होंने कहा, “मैंने अपने पूरे जीवन में महिलाओं से जुड़े मुद्दों पर काम किया है लेकिन मैंने ऐसा इसके पहले नहीं देखा।”

उन्होंने कहा कि असम की महिलाएं विनम्रता और स्वाभिमानी स्वभाव के लिए जानी जाती हैं। सिर्फ असम की नहीं बल्कि पूर्वोत्तर भर में महिलाएं स्वतंत्र स्वभाव की हैं।

अकाशितोरा ने कहा, “महत्वाकांक्षा अच्छी बात है, लेकिन लक्ष्य पाने के लिए रास्ते का चुनाव करना अलग बात है। अगर जो कहा जा रहा है, वह सच है तो इंद्राणी ने शालीनता और विनम्रता के सभी अर्थ बेमानी कर दिए हैं।”

असम में माता-पिता अपने बच्चों को सब कुछ देते हैं, ताकि उनके बच्चे अच्छी तरह बड़े हों।

उन्होंने कहा, “मैं समझती हूं कि वह बहुत असुरक्षित थीं। लेकिन उनके जीवन में जो हुआ, वह एक बात है। उन्होंने जो अपनी बेटी के साथ किया, वह बिल्कुल चकित करने वाला है। मेरे पिता की भी आतंकवादियों ने हत्या कर दी थी। क्या मैं आतंकवादी बन गई? मैं पूर्ण रूप से एक सामाजिक कार्यकर्ता बनी।”

बेंगलुरू में एक मानव संसाधन कंपनी में महाप्रबंधक संयुक्ता शर्मा ने इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया देते हुए आईएएनएस से कहा, “असम का समाज घनिष्ठ पारिवारिक मूल्यों के लिए जाना जाता है। महिलाएं पहली प्राथमिकता परिवार को देती हैं और फिर आखिर में खुद को। मैंने अपनी मां और सास को देखा है।”

स्वतंत्र पत्रकार और लेखिका रश्मि नर्जरी ने कहा कि अंतहीन महत्वकांक्षा ही इस मामले की जड़ है। लोगों को अपनी आकांक्षाएं पूरी करने के लिए दूसरों की भावनाओं के साथ नहीं खेलना चाहिए। यह बिल्कुल घृणित है।

गुवाहाटी में एक स्कूल चला रहीं सुरमंजरी काकाती ने कहा कि एक मां का अपनी ही बेटी की हत्या करना न सिर्फ असम की महिलाओं के लिए, बल्कि सभी महिलाओं के लिए शर्मनाक है।

गुवाहाटी के हांडिक कॉलेज में अंग्रेजी की प्रोफेसर श्रुतिमाला सैकिया ने कहा कि गुवाहाटी के सेंट मैरी स्कूल में पढ़ाई के दौरान इंद्राणी उनसे दो वर्ष जूनियर थीं। उन्होंने कहा, “किसी महिला द्वारा समाज में रुतबा हासिल करने के लिए शादी को माध्यम बनाना असम में शायद ही होता है।”

उन्होंने कहा कि पुलिस को जल्द से जल्द इस मामले की तह तक जाना चाहिए।

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