दिल्ली– पूर्वोत्तर भारत के सबसे बड़े ऑटोमोबाइल मार्केट असम में कार सेल्स थम गई है। गुवाहाटी हाई कोर्ट ने क्रैश टेस्ट नॉर्म्स पूरे नहीं करने वाली छोटी कारों की सेल्स पर प्रतिबंध लगा दिया है। इस वजह से मारुति सुजुकी की ऑल्टो और स्विफ्ट, ह्यूंदै मोटर कंपनी की आई10 और इयॉन और होंडा मोटर कंपनी की जैज जैसी कारों की सेल्स और रजिस्ट्रेशन पर रोक लग गई है।
इस कदम से कार कंपनियों को करारा झटका लगा है। इस फाइनैंशल इयर के पहले चार महीनों में ऑटोमोबाइल मार्केट में सात पर्सेंट की ग्रोथ दर्ज की गई है। इससे पहले लगातार दो वर्षों तक सेल्स में कमी आई थी। देश में कार सेल्स में पूर्वोत्तर राज्यों की 12 पर्सेंट हिस्सेदारी है।
कुछ लोगों ने कोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि यूरोप और डिवेलप्ड मार्केट्स में अपनाए गए लागू ग्लोबल न्यू कार असेसमेंट प्रोग्राम (एनसीएपी) को असम में बेची जाने वाली कारों के लिए भी लागू किया जाना चाहिए क्योंकि पहाड़ी क्षेत्रों में ऊंचे सेफ्टी स्टैंडर्ड्स की जरूरत होती है। इसके बाद अदालत ने उन कारों की बिक्री पर रोक लगा दी थी जो क्रैश टेस्ट नॉर्म्स को पूरा नहीं करतीं। इसका असर 140 कार मॉडल्स पर पड़ा है।
अभी देश में बनी कारों को फ्रंटल क्रैश टेस्ट नॉर्म्स को पूरा करना जरूरी होता है। पिछले वर्ष ग्लोबल टेस्ट एजेंसी एनसीएपी की ओर से किए गए फ्रंटल ऑफसेट क्रैश टेस्ट में बहुत से वीइकल्स फेल हो गए थे। इनमें मारुति ऑल्टो, ह्यूंदै आई10, फॉर्ड फिगो और दात्सुन गो जैसे मॉडल्स शामिल थे। कोर्ट ने अपने अंतरिम फैसले में कहा था, ‘केंद्र सरकार को क्रैश टेस्ट और इमिशन टेस्ट के बिना 1,500 किलोग्राम तक के वजन के फोर-वीलर्स और क्वॉड्रिसाइकल्स बेचने की ऑटो मैन्युफैक्चरर्स को अनुमति न देने का निर्देश दिया जाता है।’
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इसके बाद ट्रांसपोर्ट अथॉरिटीज ने डीलर्स को उन कारों की बिक्री रोकने को कहा है जो क्रैश टेस्ट नॉर्म्स को पूरा नहीं करती। इस ऑर्डर में स्पोर्ट्स यूटिलिटी वीइकल्स शामिल नहीं हैं, जो साइज में बड़े होते हैं और उनमें झटके को सहने की पर्याप्त क्षमता होती है। ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री को इस ऑर्डर से काफी परेशानी हो रही है। बहुत सी ऑटोमोबाइल कंपनियों ने व्यक्तिगत तौर पर और अपने संगठन सियाम के जरिए अपने मामले रखे हैं।
बड़ी ऑटोमोबाइल कंपनियों को कहना है कि उनकी कारें फ्रंटल क्रैश टेस्ट नॉर्म्स को पूरा करती हैं, जिन्हें देश में स्टीयरिंग इम्पैक्ट टेस्ट के तौर पर जाना जाता है। कंपनियों ने बताया कि फ्रंटल ऑफसेट क्रैश टेस्ट 2017 से लागू होना है। एक ऑटोमोबाइल कंपनी के सीनियर एग्जेक्युटिव ने बताया, ‘कारों की सेल्स और रजिस्ट्रेशन को रोकने का कोई मतलब नहीं है क्योंकि हम सभी जरूरी फ्रंटल क्रैश टेस्ट नॉर्म्स को पूरा कर रहे हैं।’ इस मामले की अगली सुनवाई 27 अगस्त को होनी है।
नवभारत टाइम्स से साभार