संयुक्त राष्ट्र, 19 अगस्त। (आईएएनएस)। पाकिस्तान ने जम्मू एवं कश्मीर के मुद्दे में अपना साथ देने के लिए आर्गनाइजेशन आफ इस्लामिक कांफ्रेंस (ओआईसी) की तरफ अपनी निगाहें टिका दी हैं। साथ ही उसने संकेतों में दक्षेस के कामकाज के तौर तरीके के लिए भारत पर निशाना साधा है।
संयुक्त राष्ट्र, 19 अगस्त। (आईएएनएस)। पाकिस्तान ने जम्मू एवं कश्मीर के मुद्दे में अपना साथ देने के लिए आर्गनाइजेशन आफ इस्लामिक कांफ्रेंस (ओआईसी) की तरफ अपनी निगाहें टिका दी हैं। साथ ही उसने संकेतों में दक्षेस के कामकाज के तौर तरीके के लिए भारत पर निशाना साधा है।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की मंगलवार को एक बैठक में पाकिस्तान की स्थायी प्रतिनिधि मलीहा लोधी ने कहा कि इस्लामी राष्ट्रों का संगठन ओआईसी, संयुक्त राष्ट्र के साथ मिलकर और उसके सहयोग से कश्मीर मसले के हल की दिशा में काम कर सकता है। लोधी ने कश्मीर मुद्दे की तुलना फिलिस्तीन और मध्य पूर्व की अन्य समस्याओं के साथ की।
लोधी ने कहा, “संयुक्त राष्ट्र को ओआईसी के साथ सक्रिय सहयोग को बढ़ाने के बारे में सोचना चाहिए। सहयोग विवादों में मध्यस्थता और उनके हल, शांति स्थापना और शांति का माहौल बनाने की दिशा में हो सकता है। “
लोधी ने कहा, “इसके (ओआईसी) सदस्य देश प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष कई तरह की सुरक्षा चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। सामूहिक रूप से और संयुक्त राष्ट्र के सहयोग से इसके पास वह क्षमता है कि यह फिलिस्तीन और अन्य मध्य पूर्व के देशों के संघर्षो के साथ-साथ जम्मू एवं कश्मीर विवाद जैसी चुनौतियों से निपट सके।”
भारत यह साफ कर चुका है कि कश्मीर मुद्दे में किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता की कोई गुंजाइश नहीं है। भारत का कहना है कि 1972 में भारत-पाकिस्तान के बीच हुए शिमला समझौते में साफ कहा गया है कि इस मुद्दे को द्विपक्षीय रूप से सुलझाया जाएगा।
इससे पहले परिषद के सत्र में भारत के प्रतिनिधि भगवंत एस. बिश्नोई ने ओआईसी का नाम लिए बगैर कहा था कि यूएन चार्टर इस बात की इजाजत नहीं देता कि धर्म, भाषा, इतिहास के आधार पर बने संगठन की कोई भूमिका हो सकती है।
दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (दक्षेस) पर लोधी ने कहा कि यह अपनी क्षमता के हिसाब से काम नहीं कर सका है। लोधी ने कहा कि इसकी वजह ‘क्षेत्रीय वर्चस्व’ है। उन्होंने भारत का नाम नहीं लिया लेकिन साफ है कि उनका इशारा भारत की ही तरफ था।
लोधी ने दक्षेस की तुलना यूरोपीय संघ, अफ्रीकन यूनियन, अरब लीग, खाड़ी सहयोग परिषद से की। उन्होंने कहा कि इन सभी संस्थाओं ने अपना महत्व अपने योगदान से साबित किया है।
उन्होंने कहा, “दूसरी तरफ तमाम संभावनाओं के बावजूद दक्षेस अभी तक अपनी जगह नहीं बना सका है। इसकी वजह इसके सदस्यों के बीच का तीखा मतभेद और इसका इस्तेमाल क्षेत्रीय वर्चस्व के लिए करने की कोशिश है।”
पाकिस्तान ने दक्षेस देशों के बीच रोड-रेल और ऊर्जा संपर्क के प्रस्ताव को खारिज कर दिया था। हाल ही में भारत, भूटान, बांग्लादेश और नेपाल ने इस दिशा में समझौते किए हैं।
अपनी अबुधाबी यात्रा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था, “क्या हम इसलिए रुक जाएं क्योंकि कुछ लोगों को दिक्कत है। उन्हें रहने दीजिए वहीं जहां वे रहना चाहते हैं। हम आगे बढ़ रहे हैं। भारत, बांग्लादेश, भूटान, नेपाल ने एक दूसरे के यहां आने-जाने से जुड़े समझौते पर दस्तखत किया है। यह एक बेहद महत्वपूर्ण फैसला है और इसका दूरगामी नतीजा होगा।”