नई दिल्ली, 19 अगस्त (आईएएनएस)। दिल्ली उच्च न्यायालय ने करोड़ों रुपयों के सीएनजी फिटनेस घोटाले में एक जांच आयोग के गठन के फैसले को चुनौती देने वाले मुकदमे के मामले में बुधवार को दिल्ली सरकार से जवाब मांगा।
दिल्ली की पूर्व शीला दीक्षित सरकार के कई अधिकारी इस घोटाल में जांच के घेरे में हैं।
न्यायमूर्ति जी. रोहिणी एवं न्यायामूर्ति जयंत नाथ की खंड पीठ ने अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली मौजूदा दिल्ली सरकार से उस मुकदमे के बारे में जवाब तलब किया है, जिसमें कहा गया है कि सरकार ने उपराज्यपाल की सहमति के बगैर जांच आयोग का गठन की अधिसूचना जारी की थी।
न्यायायल ने 23 सितंबर तक दिल्ली सरकार को जवाब सौंपने के लिए कहा है। मुकदमे में अधिसूचना रद्द किए जाने की मांग की गई है।
दिल्ली सरकार ने 11 अगस्त को घोटाले की जांच के लिए आयोग के गठन की अधिसूचना जारी की थी, जिसकी जांच भ्रष्टाचार विरोधी शाखा (एसीबी) पहले ही कर चुकी है।
जांच आयोग का गठन दिल्ली उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश एस. एन. अग्रवाल की अध्यक्षता में किया गया है।
सीएनजी फिटनेस घोटाला 2012 में सामने आया था, जब एसीबी की जांच में यह खुलासा हुआ था कि दिल्ली सरकार को बुराड़ी स्थित परिवहन प्राधिकरण कार्यालय में सीएनजी वाहनों की जांच एवं प्रमाणन के संचालन का ठेका ईएसपी यूएस की बजाय ईएसपी इंडिया प्राइवेट लिमिटेड को दिए जाने में कथित अनियमिता के कारण 100 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार ने उपराज्यपाल नजीब जंग पर घोटाले को दबाने का आरोप लगाया था।