पटना, 18 अगस्त (आईएएनएस)। ऑल इंडिया उलमा बोर्ड के राष्ट्रीय महासचिव अल्लामा बुनई हसनी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुफ्तार-ए-गाजी (बोलने में माहिर) हैं। अगर प्रधानमंत्री अपने काम के भी गाजी हो जाएं तो भारत शांति का केंद्र और समृद्ध देश हो जाएगा, मगर ऐसा लगता नहीं।
पटना, 18 अगस्त (आईएएनएस)। ऑल इंडिया उलमा बोर्ड के राष्ट्रीय महासचिव अल्लामा बुनई हसनी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुफ्तार-ए-गाजी (बोलने में माहिर) हैं। अगर प्रधानमंत्री अपने काम के भी गाजी हो जाएं तो भारत शांति का केंद्र और समृद्ध देश हो जाएगा, मगर ऐसा लगता नहीं।
मतदाताओं को जागरूक करने की मुहिम की शुरुआत करने पटना पहुंचे हसनी ने आईएएएनएस के साथ विशेष बातचीत में कहा कि उलमा बोर्ड का मानना है कि किसी भी चुनाव में कम से कम 80 प्रतिशत मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करें, तभी सही जनादेश प्राप्त हो सकता है।
उन्होंने कहा कि बिहार में मत प्रतिशत बढ़ाने को लेकर बोर्ड द्वारा जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है।
यह पूछे जाने पर कि उलमा बोर्ड किस पार्टी को समर्थन देगा, उन्होंने कहा कि अभी बोर्ड ने इस पर विचार नहीं किया है।
राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और जनता दल (युनाइटेड) महागठबंधन के विषय में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, “महागठबंधन एक फरेब है। यह अपने-अपने स्वार्थ को लेकर किया गया है। धर्मनिरपेक्षता का झंडा उठाने वाले अगर दागी हैं, तो ऐसे नेता से तरक्की और अमन की उम्मीद बेमानी है।”
उन्होंने कहा, “उलमा बोर्ड शांति और शिक्षा के विकास की सोच रखने वाले उम्मीदवार को समर्थन करेगी।”
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के अध्यक्ष और सांसद असदुद्दीन ओवैसी के बिहार की राजनीति में प्रवेश के विषय में पूछे जाने पर हसनी ने कहा, “ओवैसी जिन्ना के अनुयायी हैं। भारत में जिन्ना के अनुयायियों की जरूरत नहीं है। भारत की राजनीति में इमाम-ए-हिंद मौलाना अबुल कलाम आजाद व राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के अनुयायियों की जरूरत है।”
उन्होंने कहा, “भारत के मुसलमान ओवैसी और उत्तर प्रदेश के मंत्री आजम खां जैसे नेताओं को स्वीकार नहीं करती।”
हसनी ने बिहार को महात्मा बुद्ध, महावीर और मखदूम मुनीर की धरती बताते हुए कहा कि बिहार का विकास अब तक सही तरीके से नहीं हो पाया है। बिहार आज भी कई अन्य राज्यों से पिछड़ा है।
उन्होंने बिहार में मुस्लिम परिवारों की दयनीय हालत की चर्चा करते हुए कहा कि यहां के मुसलमानों को अब तक सिर्फ वोट के लिए इस्तेमाल किया गया।
हसनी ने यह भी कहा कि चुनाव के समय तो नेता बड़े-बड़े वादे करते हैं, लेकिन चुनाव गुजर जाने के बाद भूल जाते हैं। इसलिए मतदाताओं को अब वोट मांगने वाले नेताओं से पिछले पांच वर्षो का हिसाब मांगना चाहिए, तभी नेता विकास के लिए कुछ सोचेंगे, वरना अपनी जेब भरने में लगे रहेंगे।