Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/load.php on line 926

Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/formatting.php on line 4826

Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/formatting.php on line 4826

Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/formatting.php on line 4826
 परमात्मा उसीका है, जो पाना जानता है | dharmpath.com

Friday , 22 November 2024

Home » धर्म-अध्यात्म » परमात्मा उसीका है, जो पाना जानता है

परमात्मा उसीका है, जो पाना जानता है

asharamमनुष्य को वस्तुओं की कद्र करना सीखना ही चाहिए । काम में आनेवाली वस्तुएं इधर-उधर पड़ी रहें, यह ठीक नहीं है । किसी घर में वषरें से एक पुराना साज पड़ा था । उसने घर के कोने में जगह रोक रखी है, ऐसा सोचकर दिवाली के दिनों में घरवालों ने उसे निकालकर जहां कूड़ा फेंका जाता था वहां डाल दिया । कोई संगीतज्ञ फकीर वहां से गुजरा तो उसने देखा कि पुराना साज कूड़े में पड़ा है । उसने साज उठाया, साफ किया और उस पर उंगलियां घुमायीं तो साज से मधुर स्वर निकलने लगा । लोग आकर्षित हुए, भीड़ हो गयी । यह वही साज था जो वषरें तक घर में पड़ा था । घरवाले भी मुग्ध होकर बाहर निकले और बोले- यह साज तो हमारा है ।

तब उस संगीतज्ञ ने कहा- यदि यह तुम्हारा होता तो घर में ही रखते । तुमने तो इसे कूड़े में फेंक दिया, अत: अब यह तुम्हारा नहीं है ।

साज उसीका है जो बजाना जानता है ।

गीत उसीका है जो गाना जानता है ।

आश्रम उसीका है जो रहना जानता है ।

परमात्मा उसीका है जो पाना जानता है ॥

मनुष्य-जीवन बहुत अनमोल है, हमें इसकी कीमत का पता नहीं है । जो आया सो खा लिया.. जो आया सो पी लिया.. जिस-किसी के साथ उठे-बैठे.. स्पर्श किया.. इन सबसे जप-ध्यान में तो अरुचि होती ही है, साथ ही विषय-विकारों में, मेरे-तेरे में, निंदा-स्तुति में व्यर्थ ही अपना समय खो देते हैं । फिर हम न तो अपने किसी काम में आ पाते हैं और न ही समाज के । मनुष्य अगर अपने तन-मनरूपी साज को बजाना सीख जाय तो मृत्यु के पहले आत्मानंद के गीत गूंजेंगे ।

यदि आध्यात्मिक मार्ग पर अग्रसर होना है तो विशेष सावधानी रखने की जरूरत है । जिसे आध्यात्मिक लाभ की कद्र नहीं, जिसके जीवन में दृढ़ व्रत नहीं है, दृढ़ता नहीं है और जो भगवान का महत्त्व नहीं जानता, उसको भगवान के धाम में भी रहने को मिल जाय फिर भी वहां से गिरता है बेचारा । जय-विजय भगवान के धाम में रहते थे किंतु भगवान के महत्व को नहीं जानते थे तो गिरे । जो अपने जीवन का महत्व जितना जानता है, उतना ही सत्संग का, महापुरुषों का महत्त्व जानेगा । जिसको मनुष्य-जन्म की कद्र नहीं है, वह महापुरुषों की, सत्संग की भी कद्र नहीं कर सकता । जिसको अपनी मनुष्यता की कद्र है, उसको संतों की भी कद्र होगी, सत्संग की भी कद्र होगी, वह अपनी वाणी को व्यर्थ नहीं जाने देगा, अपने समय को व्यर्थ नहीं जाने देगा, अपनी सेवा में निखार लायेगा, अपना कोई दुराग्रह नहीं रखेगा, गीता के ज्ञान में दृढ़व्रती होगा । भजन्ते मां दृढव्रता: । और वह समता बनाये रखेगा, अपने जीवनरूपी साज पर कर्मयोग, भक्तियोग, ज्ञानयोग से सोऽहम् स्वरूप के गीत गुंजायेगा । इस अमूल्य मानव-देह को पाकर भी इसकी कद्र न की तो फिर मनुष्य-जन्म पाने का क्या अर्थ है ? फिर तो जीवन व्यर्थ ही गया । यह मनुष्य-जन्म फिर से मिलेगा कि नहीं, क्या पता ? अत: सदैव याद रखें कि यह मनुष्य-जन्म आत्मज्ञान, आत्मदर्शन, मुक्ति एवं अखंड आनंद की प्राप्ति के लिए ही मिला है । परमात्मा के साथ एक हो जाने के लिए मिला है । ब्रह्मानंद की मधुर बंसी बजाने के लिए मिला है । इसे व्यर्थ न खोयें । जीवनरूपी साज टूट जाय, इसकी मधुर धुन निकालने की क्षमता समाप्त हो जाय उसके पहले इसे किसी समर्थ गुरु को सौंपकर निश्चिंत हो जाओ ।

परमात्मा उसीका है, जो पाना जानता है Reviewed by on . मनुष्य को वस्तुओं की कद्र करना सीखना ही चाहिए । काम में आनेवाली वस्तुएं इधर-उधर पड़ी रहें, यह ठीक नहीं है । किसी घर में वषरें से एक पुराना साज पड़ा था । उसने घर मनुष्य को वस्तुओं की कद्र करना सीखना ही चाहिए । काम में आनेवाली वस्तुएं इधर-उधर पड़ी रहें, यह ठीक नहीं है । किसी घर में वषरें से एक पुराना साज पड़ा था । उसने घर Rating:
scroll to top