तिरुवनंतपुरम, 17 अगस्त (आईएएनएस)। विझिंजम बंदरगाह का प्रस्ताव आने के 25 सालों बाद केरल सरकार ने सोमवार को इस प्रस्तावित बंदरगाह के लिए अडानी पोर्ट्स के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए।
राज्य के बंदरगाह सचिव जेम्स वर्गीज और अडानी विझिंजम पोर्ट प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी संतोष कुमार महापात्रा ने राज्य सचिवालय के दरबार हॉल में समझौते पर हस्ताखर किए।
परियोजना पर कुल लगभग 7,525 करोड़ रुपये की लागत आएगी। इसका निर्माण तीन चरणों में होगा। परियोजना में केंद्र सरकार की भी हिस्सेदारी होगी।
बंदरगाह का प्रथम चरण चार साल में पूरा हो सकता है। अडानी पोर्ट्स के अधिकारियों ने चांडी से हालांकि कहा है कि वे करीब दो साल में ही निर्माण पूरा कर देंगे।
समझौते पर हस्ताक्षर होने के बाद अडानी पोर्ट्स के प्रमुख गौतम अडानी ने कहा कि विझिंजम बंदरगाह का 1,000 से कम दिनों में संचालन शुरू कर दिया जाएगा।
अडानी ने कहा, “विझिंजम भारत में हमारा आठवां बंदरगाह होगा। हमने इस परियोजना की योजना और इंजीनियरिंग पर काम शुरू कर दिया है। हमने मुख्यमंत्री ओमन चांडी से वादा किया है कि हम केरल स्थापना दिवस एक नवंबर 2015 को निर्माण कार्य शुरू कर देंगे। हमारा लक्ष्य 1,000 से कम दिनों में बंदरगाह का संचालन शुरू कर देना है।”
चांडी ने कहा, “हम परियोजना को लेकर सभी संदेह और डर दूर करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम अडानी पोर्ट्स को भी हर तरह का सहयोग देने का वादा करते हैं।”
समझौते पर हस्ताक्षर करने से पहले अडानी ने चांडी और उनके मंत्रिमंडल सहयोगियों से मुलाकात की।
इस मुलाकात के बाद चांडी ने कहा, “यह समझौता से पहले की मुलाकात थी। हम इस परियोजना पर आगे बढ़ेंगे और उन सभी से बात करेंगे, जिन्हें कोई भी संदेह है। सभी संदेह दूर किए जाएंगे।”
इसके बाद अडानी ने नेता विपक्ष वी.एस. अच्युतानंदन से मुलाकात की।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने रविवार को इस समझौते को एक चोरी बताया था।
अडानी ने बाद में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेताओं से भी मुलाकात की।
हस्ताक्षर होने केबाद अडानी ने संवाददाताओं से कहा कि उन्होंने अच्युतानंदन का आशीर्वाद हासिल कर लिया है।
निर्माण के बाद इस बंदरगाह पर 18,000 टीईयू क्षमता के जहाज भी गोदी में लग सकेंगे।
उम्मीद है कि इस बंदरगाह से सालाना 41 लाख कंटेनरों की ढुलाई हो सकेगी।
अडानी पोर्ट्स इस बंदरगाह के लिए अकेली बोलीदाता कंपनी थी और उसने परियोजना के लिए अनुदान के रूप में 1,635 करोड़ रुपये मांगी थी।
कंपनी 40 साल के लिए बंदरगाह का संचालन करेगी। इस अवधि को 20 साल और बढ़ाया जा सकेगा। 15 साल के संचालन के बाद इससे होने वाली आय का एक हिस्सा राज्य सरकार को भी मिलेगा।
केरल के स्थापना दिवस एक नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी परियोजना का शिलान्यास करेंगे।