भोपाल, 17 अगस्त (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड संयंत्र में 31 वर्ष पूर्व हुए हादसे के पीड़ितों की लड़ाई लड़ने वाले पांच संगठनों ने राज्य सरकार पर आरोप लगाया है कि संयंत्र में जमा रासायनिक कचरे को धार जिले के पीथमपुर संयंत्र में गुपचुप तरीके से स्थानांतरित कर उसे निष्पादित किया जा रहा है।
संगठनों का आरोप है कि रासायनिक कचरे के निष्पादन के दौरान विशेषज्ञ मौजूद नहीं रहते हैं, जिससे पीथमपुर व आसपास के इलाकों के लोगों को नुकसान हो सकता है।
गैस पीड़ितों के पांच संगठनों के प्रतिनिधियों ने सोमवार को संवाददाता सम्मेलन में राज्य सरकार के भोपाल गैस त्रासदी राहत एवं पुनर्वास विभाग पर सर्वोच्च न्यायालय के आदेश की अवहेलना करने और पीथमपुर के निवासियों के जीवन और स्वास्थ्य को खतरे में डालते हुए भोपाल के यूनियन कार्बाइड में जमा जहरीले कचरे के निष्पादन का आरोप लगाया है।
सगठनों को आशंका है कि सरकार की इस कोशिश से भोपाल जैसे हादसे के हालात बन सकते हैं।
उल्लेखनीय है कि यूनियन कार्बाइड के परिसर में जमा रासायनिक कचरे को पीथमपुर के संयंत्र में जलाया जा रहा है।
भोपाल गैस पीड़ित महिला स्टेशनरी कर्मचारी संघ की अध्यक्षा रशीदा बी ने कहा, “सितम्बर 2010 में तत्कालीन पर्यावरण मंत्री ने पीथमपुर में कार्बाइड के कचरे को जलाने का विरोध इस आधार पर किया था कि इससे यशवंत सागर का पानी प्रदूषित होगा। इस तालाब का पानी पूरा इंदौर पीता है। हम उनसे पूछना चाहते हैं कि इंदौर वालों के पानी को प्रदूषण से बचाने के लिए वह क्या कर रहे हैं?”
भोपाल गैस पीड़ित निराश्रित पेंशनभोगी संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष बालकृष्ण नामदेव ने कहा कि तत्कालीन गैस राहत मंत्री बाबूलाल गौर ने पीथमपुर संयंत्र की क्षमता के संबंध जो गंभीर आशंकाएं व्यक्त की थीं, उनका समाधान कैसे हुआ, सरकार बताए?
गौर ने अक्टूबर 2012 में मंत्रियों के समूह की बैठक में पीथमपुर में भोपाल के कचरे के प्रायोगिक निष्पादन का विरोध इस आधार पर किया था कि यह देश के सबसे घटिया संयंत्रों में से एक है।
भोपाल गैस पीड़ित महिला पुरुष संघर्ष मोर्चा के नवाब खां ने पूछा, “पीथमपुर के निवासियों और पड़ोस के कारखाने के मजदूरों को जागरूक करने और उनका बचाव करने के लिए गैस राहत विभाग द्वारा कौन-से कदम उठाए गए। इन्हीं लोगों के बारे में विभाग ने सर्वोच्च न्यायालय में 2013 में अपने हलफनामे में आशंका जताई थी कि उन्हें इस कचरे के निष्पादन से नुकसान पहुंच सकता है।”
भोपाल ग्रुप फॉर इनफार्मेशन एंड एक्शन की रचना ढींगरा ने आशंका जताई कि वर्तमान में जारी निष्पादन कार्य में सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों की अवहेलना की जा रही है। उन्होंने कहा, “यह स्पष्ट नहीं है कि अब तक जो काम हुआ है और जो हो रहा है उसकी वीडियो रिकर्डिग हो रही है या नहीं।”
उन्होंने इस बात पर खास चिंता जाहिर की कि डायोक्सीन और यूरन जैसे खतरनाक रसायनों पर निगरानी रखने वाले केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के विशेषज्ञ मौके पर मौजूद नहीं हैं।
ढींगरा ने बताया कि इससे पहले प्रायोगिक परीक्षण में सात में से छह बार पीथमपुर के लोगों को खतरनाक मात्रा में डायोक्सीन का प्रभाव पड़ा था।
‘डाओ- कार्बाइड के खिलाफ बच्चे’ की साफरीन खां ने कहा कि भोपाल का कचरा पीथमपुर में जलने से भोपालवासियों का यूनियन कार्बाइड के जहर से बचाव नहीं हो रहा, क्योंकि यह जहर तो मिट्टी और भूजल में घुल गया है।